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IANS News

देश में 54 प्रतिशत लोगों की शारीरिक गतिविधियों में रुचि नहीं

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नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)| देश में 54 प्रतिशत लोगों की शारीरिक गतिविधियां करने में कोई रुचि नहीं है और 10 फीसदी से कम लोग मनोरंजन के तौर पर शारीरिक गतिविधियां करते हैं। आईसीएमआर डेटा में इस बात का खुलासा हुआ है। दिल्ली स्थित प्राइमस सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के ओर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के हेड डॉ. सूर्यभान ने इस बारे में बताया, आजकल आर्थराइटिस जैसी जोड़ों की बीमारियां उम्र तक सीमित नहीं रह गई हैं बल्कि शारीरिक रूप से काम न करना भी इस बीमारी के बोझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में पांच में से एक वयस्क और पांच में से चार किशोर शारीरिक गतिविधियां नहीं करते, जिससे हेल्थकेयर पर 54 अरब डॉलर का सीधा असर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों बताते हैं कि 54.4 फीसदी लोगों की शारीरिक गतिविधियां करने में रुचि नहीं है। इस सरकारी एजेंसी द्वारा की गई स्टडी के अनुसार लोग यात्रा और मनोरंजन से जुड़ी शारीरिक गतिविधियों के मुकाबले काम में ज्यादा समय बिताते हैं। आलसी जीवनशैली, कसरत न करना या प्रोफेशनल की देखरेख के बिना कसरत करने से युवाओं के जोड़ों के लिगामेंट में दिक्कतें होने लगती हैं।

डॉ. सूर्यभान ने बताया, जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है तो हमारे शरीर के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है। हमारे शरीर की हड्डियांे के दोबारा बनने और रिपेयर होने की क्षमता कम होने लगती है। हमारे घुटनों के जोड़ में मुलायम टिश्यू मौजूद होते है, जिसे कार्टिलेज कहते है। यह मांसपेशियों को सहारा देते हैं और इससे गतिविधियां करने में आसानी होती है। यह एक तरह से शॉक आब्जॉर्बर का काम करते हैं। समय के साथ यह मुलायम टिश्यू घिसने लगते हैं, जिससे जोड़ों में जगह बनने लगती है और इससे जांघ और शिनबोन में घिसाव होने लगता है।

उन्होंने कहा, इस तरह से कार्टिलेज के डिजनरेशन से आर्थराइटिस होने लगता है, जिससे घुटनों में दर्द, सूजन, जोड़ों का गर्म होना और अकड़न महसूस होती है व चाल असामान्य हो जाती है। अगर इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाए तो मरीज को चलने फिरने में दिक्कत हो सकती है और विकलांगता तक हो सकती है। इसलिए इस स्थिति को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

जर्मनी की ब्रीमन यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित स्टडी से सामना आया है कि घुटनों में ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित जिन लोगों ने टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) कराया है, उन्होंने सर्जरी कराने के बाद सालभर में खुद को ज्यादा सक्रिय महसूस किया है। यहां यह बताना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि टीकेआर के बाद ज्यादातर मरीज शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय हुए हैं।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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