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हेल्थ

देश में डायलिसिस कराने वाले मरीजों की संख्या 10 फीसदी बढ़ी

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नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती।

गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, क्रोनिक किडनी बीमारी धीरे धीरे बढ़ती है। इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।

उन्होंने कहा, जिन्हें इस रोग का जरा भी खतरा हो, उन्हें समय-समय पर किडनी चेक कराते रहना चाहिए, ताकि समय रहते गुर्दो की गंभीर बीमारी से बचा जा सके। जिन लोगों के गुर्दे पूरी तरह खराब हो चुके हैं, उनके शरीर से विषाक्त पदार्थ अपने आप से बाहर नहीं आ पाते। उन्हें जिंदा रहने के लिए डायलिसिस अथवा गुर्दा प्रत्यारोपण के विकल्प ही बचते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, कई लोगों को पता ही नहीं कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी गुर्दे खराब हो सकते हैं। दो सरल से परीक्षणों से इस रोग का पता चल सकता है- एक है मूत्र में प्रोटीन की मात्रा का पता लगाना और दूसरा है रक्त परीक्षण के जरिए सीरम क्रिएटिनाइन का पता लगाना। साल में एक बार यह परीक्षण करा लेने से समय रहते रोग पकड़ में आ सकता है।

किडनी रोगों में सहायक टिप्स :-

– सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।

– फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।

– बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।

– कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।

– नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।

– पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।

– धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

– अपने आप से खरीद कर दवाएं न लें : सामान्य दवाएं जैसे इबूफ्रोबिन से किडनी खराब होने का डर रहता है।

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लाइफ स्टाइल

दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देता है जंक फूड, इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज  

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Junk food invites heart related diseases, avoid these foods

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नई दिल्ली। अनियमित लाइफ स्टाइल व तला भुना जंक फूड दिल से जुड़ी बीमारियों की मुख्य वजह बन गया है। स्टडीज़ के अनुसार, अगर आप अपने दिल की सेहत में सुधार करना चाहते हैं, तो इन 4 तरह के खाने से दूरी बना लें।

तला हुआ खाना

कई शोध से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स शरीर में बैड कोलेस्ट्ऱॉल की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। रेड मीट, फ्रेंच फ्राइज़, सैंडविच, बर्गर आदि जैसे फूड्स LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।

चीनी युक्त सोडा या फिर केक

चीनी को मीठा ज़हर ही कहा जाता है। केक, मफिन, कुकीज़ और मीठी ड्रिंक्स शरीर में सूजन का कारण बनते हैं। चीनी का ज़्यादा सेवन शरीर में फैट्स बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

लाल मांस

रेड मीट सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है, जिसकी वजह से धमनियों में प्लाक जम सकता है। जिनको मटन खाने का शौक है, उन्हें वह हिस्सा खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रोटीन और कम फैट हो। अगर आप चिकन खा रहे हैं तो ब्रेस्ट, विंग्ज़ वाला हिस्सा में ज़्यादा प्रोटीन होता है और कम फैट। वहीं, मछली सबसे हेल्दी और अच्छा ऑप्शन है।

सफेद चावल, ब्रेड या फिर पास्ता

सफेद ब्रेड, मैदे, चीनी और प्रोसेस्ड तेल को मिलाकर तैयार किए जाने वाले फूड्स में किसी भी तरह का फायदा नहीं होता। ऐसा ही सफेद पास्ता के साथ भी है। सफेद चावल में फाइबर की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल की सेहत के लिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

 

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