मुख्य समाचार
देश के दुश्मनों को मिलेगा कड़ा संदेश
1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को गवर्नर और सुप्रीम कोर्ट दोनों से राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने याकूब द्वारा क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया है। तीन जजों की बेंच ने डेथ वारंट की अनियमितता पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें कोई अनियमितता नहीं बरती गई है दूसरी ओर महाराष्ट्र के गवर्नर ने भी याकूब की मर्सी पिटीशन खारिज कर दी है। इससे याकूब मेमन की फांसी का रास्ता साफ हो गया है। उसे कल नागपुर की सेंट्रल जेल में सुबह सात बजे फांसी दी जाएगी।
पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी आतंकी याकूब मेमन की फांसी से देश के दुश्मनों को एक कड़ा संदेश जाएगा कि भारत के खिलाफ उठी हर बुरी नजर को झुकना पड़ेगा, देश के दुश्मनों को यह समझ लेना चाहिए कि हम शांति के पक्षधर जरूर हैं लेकिन कमज़ोर नहीं। भारत के खिलाफ उठी हर आवाज का दबा दिया जाएगा वह भी प्रक्रिया के तहत।
सवाल उठता है कि आखिर किस आधार पर कुछ लोग याकूब मेमन की फांसी का विरोध कर रहे थे। क्या याकूब के संवैधानिक अधिकारों की कहीं अनदेखी की गई? क्या टाडा अदालत से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने किसी प्रक्रिया में कोई कमी की? याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन को लेकर तमाम कानूनविदों का कहना था कि माननीय कोर्ट ने तय समय से ज्यादा मौका याकूब को दिया क्योंकि भारत का संविधान मुजरिम को भी उतने ही कानूनी अधिकार देता है जितना देश के किसी सामान्य या निर्दोष नागरिक को।
257 लोगों की हत्या के दोषी व पूरे देश को हिला देने वाले मुंबई सीरियल ब्लास्ट में पहली फांसी याकूब मेमन को दी जा रही है। इसके अलावा इस कांड के मुख्य अभियुक्त टाइगर मेमन और दाउद इब्राहिम को भी कानून के शिकंजे में लाने का जोरदार प्रयास किया जाना चाहिए। भारत की एकता, अखंडता व संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति का यही हश्र होना चाहिए ताकि अन्य लोगों को भी एक संदेश दिया जा सके।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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