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दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा के खिलाफ थे कई बड़े नेता!

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भोपाल, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| श्रद्धालुओं के लिए जीवनदायनी नर्मदा नदी में राजनेता अपना भविष्य तराशने की कोशिश कर रहे हैं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा पर निकले हैं। दोनों की यात्रा में एक बड़ा अंतर है। मुख्यमंत्री चौहान को जहां सत्ता व संगठन का समर्थन हासिल था, वहीं दिग्विजय सिंह से पार्टी दूरी बनाए हुए हैं। इतना ही नहीं कई बड़े नेताओं ने तो परिक्रमा का हाईकमान के सामने विरोध तक दर्ज कराया था।

मुख्यमंत्री चौहान की सेवा यात्रा लगभग छह माह चली थी, वे बीच-बीच में प्रमुख स्थानों पर पहुंचकर यात्रा में शामिल हो जाया करते थे। यात्रा का शुभारंभ और समापन दोनों ही भव्य था, इन आयोजनों में केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर तमाम धर्मगुरुओं ने भी हिस्सेदारी की थी। यह यात्रा नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त, प्रवाहमान बनाए रखने के लिए की गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपनी पत्नी अमृता सिंह के साथ दश्हरे के दिन ‘नर्मदा परिक्रमा’ की शुरुआत की। वे अपने गुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लेकर परिक्रमा पर निकले। उनकी यह यात्रा छह माह चलेगी, वे इस दौरान लगभग 3,300 किलोमीटर से ज्यादा चलेंगे। हर रोज वे 15 से 20 किलोमीटर का रास्ता तय कर रहे हैं। सिंह ने अपनी इस यात्रा को आध्यात्मिक व धार्मिक बताया है।

सिंह अपनी नर्मदा परिक्रमा के दौरान 100 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेंगे। इस दौरान उनका आम लोगों के साथ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद भी होगा। वे राज्य के 10 साल मुख्यमंत्री रहे हैं, लिहाजा उनके समर्थक अब भी हैं। वर्ष 2003 में सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी 14 साल से प्रदेश में राज कर रही है।

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह की इस यात्रा को लेकर कई बड़े नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि यह यात्रा पार्टी को लाभ कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाएगी, क्योंकि भाजपा को वर्ष 1993 से 2003 के सिंह के कार्यकाल की याद दिलाने का भरपूर मौका मिलेगा।

सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाईकमान ने भी सिंह से इस यात्रा को लेकर चर्चा की थी, जिस पर उन्होंने इस यात्रा को धार्मिक व आध्यात्मिक बताया था। इस पर हाईकमान ने न तो सहमति जताई और न ही असहमति। यही कारण है कि सिंह यात्रा के दौरान किसी तरह की राजनीतिक बयानबाजी नहीं कर रहे हैं।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर भी सिंह की परिक्रमा पर सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है कि दिग्विजय सिंह को अपनी यात्रा का उद्देश्य साफ करना चाहिए, उनके पास करने के लिए कुछ है नहीं, इसलिए सन्यासी बनने जा रहे हैं।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आईएएनएस को बताया, दिग्विजय सिंह ने इस परिक्रमा के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से अनुमति ली है और छह माह के राजनीतिक अवकाश पर हैं, उनकी यह यात्रा पूरी तरह धार्मिक व आध्यात्मिक है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लगभग एक साल पहले हो रही इस यात्रा के कई मायने हैं, भले ही इसे गैर राजनीतिक बताया जा रहा हो, मगर यह कैसे संभव हो सकता है कि दिग्विजय सिंह जैसा धुर राजनीतिज्ञ छह माह तक गैर राजनीतिक रहे। जब यात्रा खत्म होगी तब विधानसभा चुनाव में महज छह माह बचे होंगे। इस तरह दिग्विजय इस यात्रा के जरिए प्रदेश की राजनीति की नब्ज समझ चुके होंगे और उसके बाद ही अपना दाव खेलेंगे।

दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा पर उठ रहे सवालों का जवाब उनके पुत्र और विधायक जयवर्धन सिंह ने फेसबुक वाल और ट्विटर के जरिए दिया। उसमें उन्होंने लिखा, 3,300 किलोमीटर की पैदल नर्मदा परिक्रमा किसी तप से कम नहीं है और इस परिक्रमा पर राजनीतिक कीचड़ उछालने से बड़ा कोई अधार्मिक कार्य हो ही नहीं सकता है।

उन्होंने आगे लिखा है, मंदिर जाने की बात पर बस यही कहना चाहता हूं कि हम लोग जूतों के साथ-साथ राजनीति को भी मंदिर के बाहर ही रखते हैं।

दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा भले ही गैर राजनीतिक हो, मगर राज्य की राजनीति को तो गर्मा ही दिया है। कांग्रेस के बड़े नेता जहां इस यात्रा से किनारा करते नजर आ रहे हैं, वहीं भाजपा की पूरी नजर इस यात्रा पर है।

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जनता-जनार्दन ने 4 चरणों में ही इंडी गठबंधन को चारों खाने चित्त कर दिया है : पीएम मोदी

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फतेहपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूपी के फतेहपुर में एक जनसभा को संबोधित किया। जनसभा की शुरुआत में उन्होंने कहा कि आज एक तरफ देशहित के लिए समर्पित भाजपा-एनडीए गठबंधन है और दूसरी तरफ देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए इंडी गठबंधन है। सपा-कांग्रेस तुष्टिकरण के आगे घुटने टेक चुकी हैं। मोदी जब इनकी सच्चाई देश को बता रहा है तो ये कहते हैं कि मोदी हिंदू मुसलमान कर रहा है। आज पूरा देश पूरी दुनिया जानती है कि मोदी सरकार की हैट्रिक बनने जा रही है। अभी देश में 4 चरण के चुनाव हुए हैं लेकिन जनता-जनार्दन ने इन 4 चरणों में ही इंडी गठबंधन को चारों खाने चित्त कर दिया है। भानुमति का कुनबा बिखरने लगा है, उसने हथियार डाल दिए हैं। पंजे और साइकिल के सपने टूटकर ‘खटाखट-खटाखट’ बिखर गए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि बचे हुए चुनाव में कोई मेहनत भी नहीं करना चाहता। इंडी गठबंधन के कार्यकर्ता पहले से ही निराश थे, अब उन्होंने घर से निकलना ही छोड़ दिया है। इन चार चरणों में ही इंडी गठबंधन चारों खाने चित हो गया है। आपको पता होगा कि मैंने कहा था कि ये शहजादे केरल के वायनाड से भागेंगे। मैंने कहा था कि वो अमेठी की तरफ जाने की हिम्मत नहीं करेंगे, ये खबर भी पक्की निकली। उन्होंने कहा कि आगे की खबर ये है कि इज्जत बचाने के लिए अब कांग्रेस ने ‘मिशन 50’ रखा है। मतलब कैसे भी करके पूरे देश में 50 सीटें मिल जाए, ये कांग्रेस का लक्ष्य है। अब, 4 जून के बाद की प्लानिंग हो रही है कि हार का ठीकरा किस पर फोड़ा जाए। मुझे तो कोई बता रहा था कि विदेश यात्रा का टिकट भी बुक हो गया है। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस और सपा दोनों के सारे गुण मिलते हैं। दोनों परिवारवाद को समर्पित हैं और भ्रष्टाचार के लिए राजनीति में हैं। दोनों अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकती हैं। दोनों अपराधियों और माफियाओं को बढ़ावा देती है।

सपा-कांग्रेस आतंकवादियों से हमदर्दी रखती है। सपा-कांग्रेस को लगता है कि ये हमारे समाज को तोड़कर अपना काम बना लेंगे, इसलिए, इनके हौंसले बढ़ गए हैं। कांग्रेस के शहजादे राम मंदिर (Ram Temple) पर ताला डलवाने का ख्वाब देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा के बड़े नेता कहते हैं कि राम मंदिर तो बेकार है। इनके गठबंधन के लोग कहते हैं कि सत्ता में आकर सनातन धर्म का विनाश कर देंगे। सपा सरकार में यूपी अपराध में टॉप पर होता था। लेकिन, विकास के मामले में यूपी की गिनती पिछड़ी प्रदेश के तौर पर होती थी। आज भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश को विकास में टॉप पर ले आई है। आज यूपी सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे वाले राज्यों में टॉप पर है। सबसे ज्यादा एयरपोर्ट के मामले में यूपी टॉप पर है। यूपी सात शहरों में मेट्रो शुरू करके टॉप पर है। यही नहीं गरीब कल्याण की जो योजनाएं मैं चलाता हूं, यूपी उनमें भी टॉप पर है।

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