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नेशनल

ट्रैक्टर को ‘गैर परिवहन वाहन’ श्रेणी से बाहर करने का विरोध

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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| स्वराज इंडिया ने कृषि ट्रैक्टरों को ‘गैर-परिवहन वाहनों’ की श्रेणी से बाहर करने के केंद्र सरकार के फैसले पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम पहले से आर्थिक संकट झेल रहे किसानों की कमर तोड़ने वाली (दोहरी मार) है।

सरकार के इस कदम को अनावश्यक और किसान विरोधी बताते हुए, पार्टी प्रवक्ता राजीव गोदारा ने कहा कि कृषि और गैर-कृषि (कमर्शियल) प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टरों के बीच पहले से ही स्पष्ट अंतर है।

उन्होंने कहा कि खेती के कामों में प्रयुक्त होने वाले ट्रैक्टर को केंद्र सरकार ने ‘नॉन-ट्रांसपोर्ट कैटेगरी’ से निकालकर ‘ट्रांसपोर्ट वेहिकल’ की श्रेणी में डालने का प्रस्ताव दिया है जिससे खेती करने वाले ट्रैक्टर पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया। साथ ही, रोड टैक्स जैसे कई अन्य टैक्स भी लागू कर दिए गए। फसल की कीमत तो देश के किसानों को पहले से ही नहीं मिल रही थी, अब टोल टैक्स, लाइसेंस की कीमत जुड़ जाने से खेती का लागत मूल्य और भी बढ़ जाएगा।

जय किसान आंदोलन के संजोजक अविक साहा ने कहा कि कृषि ट्रैक्टर को ‘कमर्शियल वाहन’ के रूप में मान लिए जाने से एक मामूली प्लाई के लिए भी परमिट की आवश्यकता होगी, जो किसानों पर अतिरिक्त बोझ की तरह होगा। और सबसे दुखद है कि वर्तमान सरकार इसके दुष्परिणाम के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील /अचेत है।

नव गठित राजनितिक पार्टी स्वराज इंडिया ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को यह निर्णय लेने से पहले कम से कम एक महीने का समय देकर ड्राफ्ट पर आपत्ति या सुझाव आमंत्रित करना चाहिए था। लेकिन राजपत्र में प्रकाशन से पहले किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई। स्वराज इंडिया अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार को भी एक ज्ञापन भेजते हुए मांग की है कि सरकार इस मसौदे पर आपत्तियों को रखने के लिए और अधिक समय दे।

विदित हो कि सरकार के इस फरमान के बाद अब किसी भी किसान को अपने खेत में ट्रैक्टर चलाने के लिए कम से कम आठवीं पास भी होना पड़ेगा। तो क्या सरकार भी हमारे देश के किसानों की साक्षरता दर से अनजान है? योगेंद्र यादव ने पूछा है।

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नेशनल

मोदी कैबिनेट: 71 सांसदों ने ली मंत्रिपद की शपथ, जातिगत समीकरण का रखा गया खास ध्यान

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन चुके हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। मोदी के साथ-साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इन 71 मंत्रियों में से 30 से कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले और 36 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। इनमें 27 ओबीसी से हैं जबकि 10 एससी वर्ग से आते हैं।

इसके साथ-साथ मोदी कैबिनेट में 18 सीनियर नेताओं को भी जगह दी गई है। दो पूर्व सीएम को भी मोदी सरकार में शामिल किया गया है। इसके साथ-साथ एनडीए सहयोगी दलों के कई सीनियर नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है। बीजेपी ने जातिगत समीकरण को ध्‍यान में रखते हुए कैबिनेट का बंटवारा किया है। यहां जानें कौन से मंत्री किस वर्ग से हैं।

सवर्ण- अमित शाह, एस जयशंकर, मनसुख मांडविया, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, धर्मेन्‍द्र प्रधान, रवणीत बिट्टू, नितिन गड़करी, पीयूष गोयल, मनोहर लाल खट्टर, जितेंद्र सिंह, गजेंद सिंह शेखावत, संजय सेठ, राम मोहन नायडू, सुकांत मजूमदार, प्रह्लाद जोशी, जे पी नड्डा, गिरिराज सिंह, ललन सिंह, सतीश चंद्र दुबे शामिल हैं.

ओबीसी- सीआर पाटिल, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, बीएल वर्मा, रक्षा खड़से, प्रताप राव जाधव, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर, भूपेंद्र यादव, भगीरथ चौधरी, अन्नपूर्णा देवी, शोभा करंदलाजे, एचडी कुमारस्वामी, नित्यानन्द राय शामिल हैं.

दलित- एस पी बघेल, कमलेश पासवान, अजय टम्टा, रामदास आठवले, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, चिराग़ पासवान, जीतन राम मांझी, रामनाथ ठाकुर शामिल हैं.

आदिवासी- जुएल ओराम, श्रीपद येसो नाइक, सर्वानंद सोनोवाल शामिल हैं.

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