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मनोरंजन

जयपुर फिल्मोत्सव में पाखी की ‘काजल’ ने जीता पुरस्कार

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मुंबई, 11 जनवरी (आईएएनएस)| पाखी टायरवाला निर्देशित लघु फिल्म ‘काजल’ ने 10वें जयपुर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (जेआईएफएफ) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राजस्थान अवार्ड जीता है। वह इसे एक बड़ी जीत मानती हैं। जेआईएफएफ के लिए पुरस्कारों की घोषणा महोत्सव के अंतिम दिन बुधवार को हुई।

फिल्म में भारतीय समाज में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का बखूबी चित्रण किया गया है।

फिल्म में अभिनेत्री सलोनी लूथरा ने काम किया है। इसमें एक युवती के सफर को दिखाया गया है। यह महिलाओं द्वारा कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसी समस्याओं को दर्शाकर ‘हैशटैग मी टू’ अभियान का जश्न भी मनाती है।

पाखी ने अपने बयान में कहा, हमारी फिल्म को लगातार मिल रही सराहना से मैं अभिभूत हूं। जयपुर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-2018 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राजस्थान अवार्ड जीतना सच में गौरवान्वित करने वाला अनुभव और प्रतिष्ठित सम्मान है। यह महिला ताकत को भी दर्शाती है और इसलिए यह न सिर्फ हमारे लिए, बल्कि हमारे समाज की महिलाओं के लिए बड़ी जीत है।

सलोनी ने कहा कि ‘काजल’ के साथ जुड़कर वह वास्तव में खुद को खुशकिस्मत मानती हैं।

‘काजल’ ने 17वें ‘रिवर टू रिवर फ्लोरेंस इंडियन फिल्म फेस्टिवल’ में भी लघु फिल्म की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता था।

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प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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