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जम्मू-कश्मीर में भूकंप से भारी नुकसान, हिमाचल भी हिला

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श्रीनगर/शिमला। जम्मू-कश्मीर में सोमवार अपराह्न् आए तेज भूकंप से पूरी कश्मीर घाटी में संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। भूकंप में फिलहाल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। श्रीनगर में तेज भूकंप के बाद अधिकांश बहुमंजिली सार्वजनिक एवं निजी इमारतों और एक फ्लाईओवर में दरारें देखी गईं। वहीं, बड़गाम, अनंतनाग, बारामूला, पुलवामा, कुलगाम, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और गांदरबल जिलों में दर्जनभर सरकारी और निजी इमारतों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचने की खबर है।

दूसरी ओर भूकंप के झटकों ने हिमाचल प्रदेश को भी हिला दिया, लेकिन इससे जान-माल को क्षति पहुंचने की कोई खबर नहीं मिली। एक अधिकारी ने कहा कि कांगड़ा और चंबा जिलों में झटके ज्यादा महसूस किए गए। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रिक्टर पैमाने पर 7.5 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके कई सेकेंडों तक राज्य के कई हिस्सों में महसूस किए गए।

वहीं पूरी कश्मीर घाटी में जैसे ही भूकंप के झटके महसूस हुए, लोग कार्यालयों, संस्थानों और घरों से निकल खुली जगह की ओर दौड़ पड़े। इस दौरान घाटी में यातायात भी बाधित हो गया। भूकंप अपराह्न् 2.40 बजे आया। भूकंप को लेकर लोग इतने घबराए हुए थे कि एक घंटे बाद भी दोबारा भूकंप आने के डर से इमारतों में जाने से कतराते रहे।

यहां प्रांतीय प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम पूरी घाटी से जानमाल और सार्वजनिक व निजी संपत्ति के नुकसान के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।” जम्मू एवं कश्मीर में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 मापी गई है। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदुकुश पर्वत क्षेत्र बताया गया है।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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