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जघन्य अपराधियों का चुनाव लड़ना उचित नहीं : सीईसी

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नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)| निर्वाचन आयोग चाहता है कि जघन्य अपराधों व मतदाताओं को रिश्वत देने का आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों को अयोग्य करार दिया जाए।

आयोग ऐसा प्रणाली को स्वच्छ बनाने और उम्मीदवारों को बराबरी का स्तर देने के लिए करना चाहता है।

आयोग पार्टियों के उन प्रावधानों को भी अस्वीकृत करता है जिसमें पार्टियों को अपने निर्वाचन संबंधी बांड से मिले राशि की खुलासा करने की जरूरत नहीं होती है। आयोग इन प्रावधानों की समीक्षा करना चाहता है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, निर्वाचन प्रक्रिया के स्वतंत्र व निष्पक्ष होने में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्वाचन क्षेत्र में अपराधियों की भूमिका है। इसलिए हमने सिफारिश की है कि जिनके खिलाफ जघन्य अपराधों हत्या, दुष्कर्म, अपहरण आदि जैसे मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं, जिससे इन्हें पांच साल की जेल हो सकती है, उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने इसकी सिफारिश की है और कानून आयोग ने विचार का समर्थन किया है।

जैदी ने कहा, कानून आयोग ने इस विषय पर एक अलग से रिपोर्ट दी है। मैं मानता हूं कि यह समय है कि इसे प्राथमिकता के तौर पर लिया जाए।

अपने पांच साल के कार्यकाल के बाद जैदी बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

जैदी ने उम्मीदवारों के मतदाताओं के रिश्वत देने के आरोपों पर भी बात की। उन्होंने खास तौर से तमिलनाडु विधानसभा के आर.के.नगर निर्वाचन क्षेत्र के संदर्भ में बातें की।

आर.के.नगर निर्वाचन क्षेत्र तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता के निधन से खाली हुई।

जैदी ने कहा, हमें अपने निर्वाचन प्रणाली में ईमानदार प्रतिनिधियों की जरूरत है, जिसका अर्थ है कि हमारे चुनाव अभियानों में भ्रष्ट धन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। अब उम्मीदवारों के पास वैधानिक सीमा है। वे चुनाव खर्च कानूनी रूप से कर सकते है, लेकिन शराब या खबरों के लिए भुगतान नहीं कर सकते।

आयोग ने यह धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए बड़े स्तर पर संसाधन तैनात किए हैं। विधानसभा स्तर पर खर्चे पर निगरानी की प्रक्रिया कई विभागों जैसे मादक द्रव्य पदार्थ, आबकारी व पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं।

जैदी ने कहा, उदाहरण के तौर पर आर.के.नगर उपचुनाव में हमारे पास रिश्वत के आरोपों पर चुनाव नहीं कराने के लिए कानूनी शक्ति नहीं थी, इसलिए हमने संविधान के अनुच्छेद 324 के सर्वव्यापी प्रावधानों का सहारा लिया। लेकिन हम हर बार अनुच्छेद 324 की मांग नहीं कर सकते। इसलिए एक उचित नियम होना चाहिए। इसकी कानून आयोग द्वारा जांच की गई है और समर्थन किया गया है।

निवर्तमान सीईसी ने कहा कि इस संदर्भ में प्रस्ताव सरकार को भेजे गए हैं।

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नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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