प्रादेशिक
छत्तीसगढ़ में 1 लाख लोग घर छोड़कर पलायन को मजबूर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के दर्जनों गांवों में घरों पर इन दिनों ताले लटक रहे हैं। रोजगार की तलाश में ग्रामीण परिवार सहित अपना घर-बार छोड़ दूसरे राज्यों व महानगरों में जा रहे हैं। आखिर क्यों?
राज्य में तमाम कल्याणकारी योजनाएं लागू हैं। मनरेगा के तहत काम चल रहे हैं, गरीबों को एक रुपया प्रति किलोग्राम की दर पर चावल मिलता है, फिर भी रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर रोजाना गरीब तबके के सैकड़ों लोग बोरिया-बिस्तर के साथ राज्य से बाहर का टिकट कटाते देखे जाते हैं। लवन क्षेत्र के 60 गांवों से हर साल लगभग 35 हजार किसान-मजदूर दूसरे राज्य चले जाते हैं। ये लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य हिस्सों में जाकर भवन निर्माण, सड़क व नाली निर्माण जैसे काम में लग जाते हैं या ईंट-भट्ठों पर काम करते हैं।
बलौदाबाजार के कंस निषाद ने रायपुर रेलवे स्टेशन पर बताया कि हम 55 मजदूर एक साथ गांव छोड़कर जा रहे हैं। साथ में 15 बच्चे भी हैं। हम लोग फैजाबाद में ईंट बनाने का काम करेंगे। एक हजार ईंट बनाने पर 400 रुपये मिलते हैं। दो मजदूर मिलकर एक दिन में दो हजार से ज्यादा ईंट बना लेते हैं। हम लोग छह महीने वहां काम कर लौट आएंगे। राज्य के बेमेतरा, बालोद, कवर्धा, गरियाबंद, दुर्ग, धमतरी सहित कई और जिलों से भी किसान-मजदूरों के पलायन की खबरें लगातार आ रही हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में 95 हजार 324 लोग अपना घर-बार छोड़ चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा पलायन जांजगीर चाम्पा जिले से हुआ है। सच तो यह है कि इसी साल अब तक एक लाख से ज्यादा लोग राज्य से निकल चुके हैं। इससे जाहिर है कि मनरेगा लागू रहने के बावजूद निम्नवर्ग के लोगों को अपने राज्य में पर्याप्त काम नहीं मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव के एक सवाल के लिखित जवाब में प्रदेश से मजदूरों के पलायन की बात स्वीकारी है। उन्होंने बताया है कि सूबे में बीते तीन वर्षो में 95 हजार 324 लोगों ने अधिक मजदूरी के लालच में या परंपरागत ढंग से पलायन किया है। राजस्व मंत्री के जवाब में सर्वाधिक 29 हजार 190 पलायन जांजगीर चाम्पा जिले से होना बताया गया है।
नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मनरेगा का रिकार्ड बताता है कि पिछले नौ माह से जिले के किसी भी ग्रामीण को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया। वहीं इन ग्रामीणों के साथ-साथ मनरेगा में कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों को भी 6 से 10 माह तक का बकाया मानदेय नहीं मिला है। विडंबना यह है कि एक ओर दंतेवाड़ा जिला मनरेगा के तहत उत्कृष्ट कार्य करने पर दिल्ली में प्रधानमंत्री से पुरस्कृत हुआ तो दूसरी तरफ बगल के सुकमा जिले में रोजगार के लाले पड़े हैं।
सूबे के एक और जिले बलौदा बाजार के आंकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं। यहां पिछले एक माह से 500 से अधिक मजदूरों का प्रतिदिन पलायन हो रहा है। पलायन के लिए चर्चित लवन क्षेत्र में अब तक कुल 20 हजार मजदूरों का पलायन हो चुका है। इस कारण गांवों की गलियां वीरान हो गई हैं। लगभग 15 गांवों के सैकड़ों मकानों में आज ताले लटके हैं। अगर पलायन का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो ज्यादातर गांव वीरान नजर आएंगे। ग्राम हरदी व दतान के लगभग 300 मजदूर हाल ही में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद, अयोध्या पहुंचे हैं। इन्हें वहां ईंटभट्ठों पर काम मिला है।
गैरसरकारी संगठन ग्राम विकास समिति के महासचिव राजेश मिश्रा ने कहा, “छोटा राज्य बनने के बाद भी मजदूरों को कोई खास लाभ नहीं मिला है। इसलिए बड़ी संख्या में मजदूर प्रदेश से पलायन करते हैं।” उन्होंने कहा, “आर्थिक विकास के आंकड़े जमीनी हकीकत से दूर ठंडे कमरों में बैठकर गढ़े जाते हैं, इसलिए छत्तीसगढ़ी किसान-मजदूर अपने गढ़ से दूर चले जाते हैं। सवाल उठता है कि आखिर यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा?” सुकमा जिला गठन के बाद वर्ष 2014-15 में सुकमा जिले के हिस्से में मात्र ढाई माह ही मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया। उसके बाद साढ़े 9 माह में 1.50 लाख पंजीकृत ग्रामीण मजदूरों को एक भी दिन का रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया।
जिले के घोर नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक में ऐसी 14 ग्राम पंचायतें हैं, जहां मनरेगा योजना शुरू होने के बाद से एक भी कार्य स्वीकृत नहीं किया गया। यहां के बाशिंदों को यह भी नहीं पता कि मनरेगा किस चिड़िया का नाम है। कोंटा ब्लॉक के लोकेश बघेल ने बताया कि यह नक्सल प्रभावित इलाका है और गांवों तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं। इसलिए यहां योजनाओं के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलता। गौरतलब है कि 13वें वित्त आयोग के तहत इन्हीं क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लाखों के कार्य ‘कागजों में’ ही संपन्न हो गए थे। सुकमा जिले में एक ओर जहां पिछले साढ़े 9 माह में एक दिन भी रोजगार नहीं मिला तो दूसरी ओर जिले में पदस्थ पीओ से लेकर रोजगार सहायकों को 6 से 10 माह तक का मानदेय तक नहीं मिला है। बताया गया है कि सुकमा ब्लॉक में 10 लाख, छिंदगढ़ में 20 लाख व कोंटा में सबसे ज्यादा 22 लाख रुपये मानदेय दिया जाना बाकी है। आलम यह है कि इन कर्मचारियों को अब क्षेत्र के दुकानदार भी उधार देने से मना करने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ के 725 बंधक मजदूरों को 27 माह में दीगर राज्यों से मुक्त कराया गया। इस दौरान मजदूरों को बंधक बनाए जाने के 243 मामले सामने आए थे। हर महीने छत्तीसगढ़ के मजदूरों को बंधक बनाए जाने के औसतन 9 मामले हैं। इससे यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि हर माह छत्तीसगढ़ के करीब 27 मजदूरों को दीगर प्रांतों के ठेकेदार बंदी बना लेते हैं।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी का विपक्ष पर हमला, कहा- आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा
गोरखपुर। सीएम योगी ने शुक्रवार को गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद और भाजपा प्रत्याशी रविकिशन शुक्ल के नामांकन के बाद, उनके पक्ष में महंत दिग्विजयनाथ पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के मतदान तक हताश हो चुके विपक्ष के नेता अब भगवान राम पर टिप्पणी करने लगे हैं। कोई कहता है कि राम मंदिर बेकार है तो कोई कहता है कि राम मंदिर से जनता को क्या लाभ है। योगी ने कहा कि आतंकवादियों की पैरवी करने वालों को तो राम मंदिर बुरा ही लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरे चरण में लोकसभा का चुनाव अब उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां विपक्ष ने हार मान ली है। कांग्रेस, सपा बसपा सबने हार स्वीकार कर ली है। तीन चरणों में 285 सीटों पर यानी पूरे देश के अंदर आधा चुनाव संपन्न हो चुका है। योगी ने कहा कि चुनाव प्रचार में देश के अंदर उन्हें नौ राज्यों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ है। पूरे देश के अंदर एक ही स्वर गूंज रहा है, “फिर एक बार मोदी सरकार”। देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। हम उनको लाएंगे जिन्होंने रामराज की परिकल्पना को साकार किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए आज के विपक्ष ने राम जन्मभूमि पर आतंकी हमला करने वालों के खिलाफ, माफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए होते तो संकटमोचन मंदिर और कचहरी पर आतंकी हमले नहीं होते। आतंकवाद के मुद्दे पर घुटना टेकने की नीति का दुष्परिणाम रहा कि इन हमलों में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता के लिए सारी समस्याओं का समाधान रामराज है और इसी रामराज के लिए जनता बार-बार मोदी सरकार को चुन रही है। जनता यही कह रही है, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। रामराज का मतलब सबका सम्मान, सबकी सुरक्षा, सबका विकास और गरीब कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर तबके को बिना भेदभाव प्राप्त होना है।
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