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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन में लुप्तप्राय सारसों की संख्या में इजाफा

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जिनान, पूर्वी चीन के शानदोंग प्रांत, प्राकृतिक अभ्यारण्य, लुप्तप्राय विशेष प्रजाति के सारसों की संख्या, प्राकृतिक संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय संघ

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जिनान। पूर्वी चीन के शानदोंग प्रांत के प्राकृतिक अभ्यारण्य में लुप्तप्राय विशेष प्रजाति के सारसों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।प्राकृतिक अभ्यारण्य प्रशासन ने सोमवार को कहा कि अक्टूबर मध्य से 128 सारस पलायन कर येलो रीवर डेल्टा राष्ट्रीय प्राकृतिक अभ्यारण्य पहुंचे हैं, जो 1992 में इसकी स्थापना के बाद से अब तक सर्वाधिक संख्या है। पिछले एक दशक में अभ्यारण्य पहुंचने वाले सारसों की संख्या में इजाफा हुआ है, जबकि 2002 में यह संख्या 36 ही थी। प्रशासनिक ब्यूरो ने सारसों की आबादी में वृद्धि का कारण पर्यावरण में सुधार और अभ्यारण्य में संरक्षण कार्य को बताया है। प्राकृतिक संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय संघ ने विशेष प्रजाति के इन सारसों को चीन की उच्च प्राथमिकता संरक्षण सूची में शामिल किया है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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