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मुख्य समाचार

खाद्य सब्सिडी में सुधार से महंगाई घटेगी : मूडीज

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चेन्नई| वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज इन्वेस्टर सर्विस’ का मानना है कि खाद्य सब्सिडी और वितरण में सुझाए गए सुधारवादी कदमों से भारत में महंगाई और वित्तीय घाटा कम होगा। केंद्र सरकार की एक समिति ने 21 जनवरी को खाद्य सब्सिडी और वितरण प्रणाली में सुधारवादी कदम उठाए जाने के सुझाव दिए थे।

‘मूडीज क्रेडिट आउटलुक’ के ताजा अंक में मूडीज की सहयोगी विश्लेषक ‘सॉवरेन रिस्क समूह’ ने कहा, “हमें नीतियों में तुरंत सुधार की उम्मीद है, जिससे देश की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता में सुधार होगा और महंगाई दर व सरकार के वित्तीय घाटे में कमी आएगी।”

इन सुधारवादी कदमों में अनाज खरीद का विकेंद्रीकरण शामिल है। इस प्रक्रिया में अधिक खाद्य अनाज का निपटारा, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के जरिये खाद्य और उर्वरक सब्सिडी की सुपुर्दगी और खाद्य सब्सिडी कम की जाती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सब्सिडी का लाभ 67 प्रतिशत से घटा कर 40 प्रतिशत आबादी को दिया जाना है।

मूडीज के अनुसार खाद्य महंगाई की वजह से भारत की उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) महंगाई दर पिछले पांच सालों में औसत नौ प्रतिशत रही है।

मूडीज के मुताबिक अक्षमता और भ्रष्टाचार के जरिए अनाज के भंडारों के नुकसान से लागत बढ़ी है और वितरण प्रणाली के सामाजिक-आर्थिक लाभ कम हुए हैं।

एजेंसी के अनुसार व्यापक पारदर्शिता और क्षमता होने से मांग और आपूर्ति दोनों बढ़ेगी, जिससे तेजी से कीमत सूचकों पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही उन कारणों को कम किया जा सकेगा, जो विश्व की तुलना में भारत में खाद्य कीमतों को बढ़ाने के जिम्मेदार हैं।

मार्च 2014 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत का सामान्य सरकारी घाटा अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7.2 प्रतिशत रहा।

मूडीज के मुताबिक पिछले आठ सालों में खाद्य सब्सिडीयों पर वार्षिक खर्च औसतन 20 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसी अवधि के दौरान कुल व्यय वृद्धि दर 16 प्रतिशत रही है।

भारत में खाद्य सब्सिडी में कमी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है। वित्त वर्ष 2014 में भारत की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 1,509 डॉलर रही है।

इसलिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन और खाद्य सब्सिडी पाने की हकदार आबादी में कमी करने के लिए संसदीय मंजूरी मिलने में मुश्किल हो सकती है।

नेशनल

बाबा रामदेव की सोन पापड़ी भी टेस्ट में ‘फेल’, असिस्टेंट मैनेजर समेत 3 को 6 महीने की जेल

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नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई थी। अब पतंजलि कंपनी की सोन पापड़ी फूड टेस्‍ट में फेल गई है। मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्‍टेंट मैनेजर सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुना दी है। तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत सजा सुनाई गई है। असिस्टेंट मैनेजर को 50 हजार और अन्य 2 दोषियों को 10 और 25 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। मामले में शिकायतकर्ता की ओर से रितेश वर्मा ने पैरवी की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर 2019 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ बेरीनाग बाजार का दौरा किया था। इस दौरान बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान में रेड मारी गई। जांच करते हुए रेड टीम ने पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए रुद्रपुर की लैंब में भेजा गया। साथ ही सप्लायर रामनगर कान्हा जी और पतंजलि को नोटिस जारी किए गए।

जांच में मिठाई की क्वालिटी घटिया मिली। सैंपल फेल हो गया और पुलिस ने एक्शन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अभिषेक कुमार, कान्हा जी डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड रामनगर के असिस्टेंट मैनेजर अजय जोशी, दुकानदार लीलाधर पाठक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिन जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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