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कैंसर से जूझ रहा शख्स जरूरतमंदों का निशुल्क भर रहा है पेट
चंडीगढ़, 14 जनवरी (आईएएनएस)| कारोबारी जगदीश लाल आहूजा 83 बरस के हैं और वह पिछले साढ़े तीन दशकों से गरीबों और जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन करा रहे हैं। वह कैंसर से जूझ रहे हैं और अपने सामुदायिक कार्यो को जारी रखने के लिए उन्होंने अपनी कई संपत्तियां बेच दी हैं। इन सबके बावजूद जगदीश लाल आहूजा का उत्साह कम नहीं हुआ है।
वह कहते हैं कि यह कार्य उनके जीवन का मिशन है।
आहूजा ने चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के गेट नंबर 2 के बाहर आईएएनएस से कहा, मैं अपनी आखिरी सांस तक इस लंगर को जारी रखूंगा। यह मुझे सुकून देता है। ईश्वर ने मुझे यह करने के लिए चुना है और मैं इसे जारी रखूंगा।
वह 1981 से चंडीगढ़ और इसके आसपास के क्षेत्रों में लंगरों का आयोजन कर रहे हैं। आहूजा ने पीजीआई के बाहर रोजाना लंगर लगाना शुरू किया, जहां 2001 से बड़ी संख्या में उत्तर भारत के सभी राज्यों से मरीज और उनके रिश्तेदार लंगर खा रहे हैं।
कई गरम कपड़ों में लिपटे आहूजा ने कहा, मैं यह खुद कर रहा हूं। पिछले कुछ वर्षो में कई लोगों ने मुझसे जुड़ने के लिए मुझे पैसे और अन्य चीजों की पेशकश की लेकिन मैंने किसी से कुछ नहीं लिया। मैं अपने खुद के संसाधनों से यह करना चाहता हूं। मैंने सभी पेशकश को मना कर दिया। मुझे लगता है कि ईश्वर मुझ पर मेहरबान है कि उसने मुझे इस काम को जारी रखने के योग्य बनाया है।
सामुदायिक कार्य करने की प्रक्रिया में आहूजा ने पिछले कुछ वर्षो में अपनी सात संपत्तियां बेच दी हैं।
उन्होंने कहा, मैं पैसे की वजह से इस लंगर में रुकावट नहीं आने दूंगा। हाल के कुछ वर्षो में हमें संख्या कम करनी पड़ी है। पहले हम 1,800 लोगों को भोजन कराते थे, लेकिन अब यह संख्या लगभग 500 हो गई है।
आहूजा का कहना है कि वह प्रतिकूल पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सके।
आहूजा को निशुल्क लंगर का आयोजन करने की प्रेरणा अपनी दादी माई गुलाबी से मिली, जो अपने गृहनगर पेशावर (अब पाकिस्तान) में गरीब लोगों के लिए लंगरों का आयोजन करती थीं। भोजन में दाल, सब्जियां, चावल, चपाती, केले और हलवा शामिल हैं। बच्चों के लिए आहूजा की पत्नी निर्मल आहूजा गुब्बारे, कैंडी, बिस्किट और अन्य खाद्य सामग्री एसयूवी पिकअप में रखकर लाती हैं।
फल के बड़े व्यापारी आहूजा ने कोई साधारण जीवन नहीं जीया है। वह 1947 में बंटवारे के समय अपने जन्मस्थान पेशावर से विस्थापित हो गए थे। उस समय उनकी उम्र 12 वर्ष थी। वह अपने परिवार के साथ शरणार्थी के तौर पर पंजाब के मनसा आ गए। बचपन में वह जीवनयापन करने के लिए रेलवे स्टेशन पर नमकीन दाल बेचा करते थे। वह बाद में पटियाला चले गए और गुड़ और फलों का कारोबार शुरू कर दिया।
1950 के दशक में आहूजा चंडीगढ़ चले गए, उस समय उनकी उम्र 21 वर्ष थी। उन्होंने एक फलों का ठेला ले लिया और केले बेचने शुरू कर दिए।
वह कहते हैं, यहां कोई अच्छी तरह से नहीं जानता था कि केलों को कैसे पकाया जाता है। मैंने यह शुरू किया और अच्छी कमाई करनी शुरू की।
आहूजा को बाद में क्षेत्र का राजा कहा जाने लगा और वह करोड़पति बन गए।
उन्होंने कहा, मैं किसी को भी खाली पेट जाने देना नहीं चाहता। मैंने अपने बचपन में बहुत मुश्किल दौर देखा है। मैं अभी भी वह दिन याद करता हूं। यदि मैं लोगों की परेशानी कम करने के लिए थोड़ा बहुत भी कर सकूं तो मैं करूंगा।
आहूजा ‘पीजीआई भंडारे वाले’ और ‘लंगर बाबा ‘के नाम से मशहूर हैं। लंगर के लिए कतार हमेशा लंबी होती है। ऐसा कोई दिन नहीं होता, जब आहूजा पीजीआई स्थित लंगर स्थल ना आते हों।
लंगर के लिए आए कई लोग आहूजा के चरण स्पर्श की कोशिश करते हैं लेकिन आहूजा इससे काफी चिढ़ जाते हैं।
उन्हें आमतौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है, कृपया मेरे चरण स्पर्श मत कीजिए। मैं कुछ भी नहीं हूं और मैंने कुछ महान नहीं किया है। ईश्वर से आशीर्वाद लें।
पीजीआई में लगने वाला लंगर आहूजा द्वारा की जाने वाली एकमात्र सामाजिक गतिविधि नहीं है। वह वृद्धाश्रमों को भी आर्थिक मदद देते हैं, बच्चों में फल और कैंडी वितरित करते हैं। लोगों को गर्म कपड़े देते हैं और खुद को कई अन्य गतिविधियों में व्यस्त रखते हैं। उन्हें चंडीगढ़ प्रशासन, कई अन्य संगठन और लोग सम्मानित भी कर चुके हैं। खुद को वर्चुअली अशिक्षित कहने वाले आहूजा की कार में एक मोबाइल टैबलेट है, जिसमें उनकी बेटी ने उनके सामाजिक कार्यो के वीडियो और तस्वीरें अपलोड की हुई हैं।
आहूजा को इन कार्यो में अपनी पत्नी निर्मल का पूरा सहयोग मिला हुआ है।
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एग्जिट पोल से पहले प्रशांत किशोर ने की भविष्यवाणी, बीजेपी को मिलेंगी इतनी सीटें
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में आज सातवें और अंतिम चरण के लिए वोट डाले जा रहे हैं। 4 जून को इसके नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। बीजेपी जहां आसानी से सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त है तो वहीं इंडी अलायंस ने का दावा है कि 4 जून को गठबंधन के विजय होगी।
वहीं, राजनीति के दिग्गज विश्लेषकों में से एक प्रशांत किशोर ने एग्जिट पोल से पहले नतीजों को लेकर भविष्यवाणी की है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि बीजेपी इस बार अकेले 303 सीटें जीतेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इतनी ही सीटें जीती थी। प्रशांत ने कहा है कि इस बार भी बीजेपी 303 सीटें या इससे कुछ ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाती नज़र आ रही है। उन्होंने पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में बीजेपी के वोट प्रतिशत बढ़ने की भी संभावना बताई है। आज आखिरी चरण के मतदान के खत्म होते ही शाम साढ़े 6 बजे के बाद एग्जिट पोल के नतीजे जारी होंगे।
चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक वोटिंग की प्रक्रिया पूरी होने के 30 मिनट के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं। ऐसे में शाम को 6 बजे वोटिंग पूरी होगी और इसके आधा घंटा बाद एग्जिट पोल दिखाया जाएगा। इसके लिए न्यूज एजेंसियों ने अपनी तैयारी कर ली है।
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के खाते में 303 सीटें थीं। वहीं कांग्रेस को केवल 52 सीटों पर जीत हासिल हो सकी थी। टीएमसी को 22 सीटों पर जीत मिली थी। जेडीयू को 16 सीटें और समाजवादी पार्टी को मात्र पांच सीटें मिली थीं। बीएसपी को यूपी में 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बता दें कि इस बार कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि उसके नेता एग्जिट पोल डिबेट में शामिल नहीं होंगे।
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