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केंद्र दार्जलिंग से अर्धसैनिक बलों को हटाने के लिए शीर्ष न्यायालय पहुंचा

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने बुधवार को समस्या ग्रस्त दार्जलिंग से केंद्रीय बलों को हटाने की मांग के साथ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। केंद्र सरकार ने पर्वतीय राज्य में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों की 10-15 टुकड़ियों को वहां से हटाने के केंद्र के फैसले पर रोक लगाने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी है।

केंद्र सरकार के कानून अधिकारी, अधिवक्ता एस. वसीम अहमद कादरी द्वारा मामले की जल्द सुनवाई की मांग करने पर न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

कादरी ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार को जम्मू एवं कश्मीर और म्यांमार से सटी सीमा पर तैनानी के लिए दार्जलिंग से अपने सुरक्षा बलों को हटाने की जरूरत है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर केंद्र के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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