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‘किसानों को नहीं मिलता देश की योजनाएं का लाभ’

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नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| क्वांटम ग्लोबल कैंपस परिसर में आयोजित लेखन व भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने किसानों की दयनीय स्थिति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि देश की योजनाएं किसानों के हित में तो होती हैं, लेकिन उनका लाभ किसानों को नहीं मिलता। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा विमुद्रीकरण का प्रभाव, सुशासन में आम आदमी की भूमिका, भारत के विकास में किसानों की भूमिका एवं स्वच्छ भारत का महत्व विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में लेखन में के.एल. डीएवी के अंकित कुमार ने प्रथम स्थान तथा सरस्वती विद्यामंदिर इंटर कॉलेज, हरिद्वार के अमित कुमार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में ग्रीन वे मार्डन स्कूल के अभयराज ने प्रथम स्थान तथा ग्रीन वे मार्डन स्कूल की बुश्रा मलिक ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

प्रतिभागी बुश्रा मलिक ने भारत के विकास में किसानों की भूमिका के विषय पर प्रकाश डालते हुए लोगों को किसानों की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा, एक किसान अपनी मेहनत से पूरे देश की भूख तो मिटा पाता है, लेकिन भुखमरी से अपने ही परिवार को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है। देश की जितनी भी योजनाएं बनाई जाती हैं, वह किसानों के हित में तो होती हैं, लेकिन उनका लाभ किसानों को नहीं मिलता।

ग्रीन वे मार्डन स्कूल के छात्र अभयराज ने विमुद्रीकरण के प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नोटबंदी के प्रभाव एवं दुष्प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने नोटबंदी के लिए नोटों को गलत न ठहराते हुए लोगों की सोच को गलत कहा तथा कालेधन के रोक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम की सराहना की।

पत्रकारिता एवं जनसंचार के समन्वयक रोहन त्यागी ने कहा, पत्रकारिता समाज में लगातार जागरूकता फैलाने का काम कर रही है, प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में प्रेस चौथी शक्ति के रूप में प्रसिद्ध है। इन चारों शक्ति-स्तंभों पर ही शासन टिका है।

क्वांटम स्कूल ऑफ ग्रेजुएट स्टडीज के निदेश प्रो. रोहित कुशवाहा ने प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। साथ ही विजेताओं को ट्रॉफी तथा प्रमाणपत्र देकर उनका मनोबल बढ़ाया।

प्रतियोगिता में सहारनपुर, रुड़की व हरिद्वार के स्कूली छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया। हिंदी दिवस पर गुरुवार को क्वांटम ग्लोबल कैंपस के प्रागंण में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।

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बाबा रामदेव की सोन पापड़ी भी टेस्ट में ‘फेल’, असिस्टेंट मैनेजर समेत 3 को 6 महीने की जेल

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नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई थी। अब पतंजलि कंपनी की सोन पापड़ी फूड टेस्‍ट में फेल गई है। मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्‍टेंट मैनेजर सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुना दी है। तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत सजा सुनाई गई है। असिस्टेंट मैनेजर को 50 हजार और अन्य 2 दोषियों को 10 और 25 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। मामले में शिकायतकर्ता की ओर से रितेश वर्मा ने पैरवी की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर 2019 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ बेरीनाग बाजार का दौरा किया था। इस दौरान बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान में रेड मारी गई। जांच करते हुए रेड टीम ने पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए रुद्रपुर की लैंब में भेजा गया। साथ ही सप्लायर रामनगर कान्हा जी और पतंजलि को नोटिस जारी किए गए।

जांच में मिठाई की क्वालिटी घटिया मिली। सैंपल फेल हो गया और पुलिस ने एक्शन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अभिषेक कुमार, कान्हा जी डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड रामनगर के असिस्टेंट मैनेजर अजय जोशी, दुकानदार लीलाधर पाठक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिन जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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