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अन्तर्राष्ट्रीय

काबुल में विस्फोट, 35 की मौत

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काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अलग-अलग बम विस्फोटों में 35 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। ‘बीबीसी’ की शनिवार की रपट के मुताबिक, शहर की पुलिस अकादमी के नजदीक एक आत्मघाती हमलावर ने शुक्रवार शाम खुद को विस्फोट से उड़ा लिया, जिसमें 20 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

इससे पहले शुक्रवार सुबह शाह शाहिद इलाके में एक ट्रक में भीषण विस्फोट हुआ था, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई। तालिबान ने सिर्फ पुलिस अकादमी पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। अधिकारियों ने शुक्रवार शाम बताया कि आत्मघाती हमलावर ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और उसने काबुल पुलिस अकादमी के बाहर खुद को उड़ा लिया। वह पुलिस कैडेट के साथ कतराबद्ध था और इमारत में प्रवेश का इंतजार कर रहा था। इस घटना में 25 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

शाह शाहिद इलाके में हुए विस्फोट ने इमारतों और कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया और सड़क पर 10 मीटर गड्ढा बना दिया। विस्फोट में 240 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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