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कर्नाटक में निजी चिकित्सकों की हड़ताल से मरीज बेहाल

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बेंगलुरु, 13 नवंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक में सोमवार को 50 हजार से ज्यादा निजी चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से निजी अस्पतालों की बाह्य-रोगी सेवा और क्लीनिक प्रभावित रहे। यह चिकित्सक विधेयक में एक संशोधन का विरोध कर रहे हैं जिसमें उनके कार्य को विनियमित करने का प्रस्ताव है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राज्य सचिव बी. वीरन्ना ने आईएएनएस को बताया, राज्य के सभी निजी अस्पतालों या क्लिीनिक में बाह्य मरीजों को न तो देखा जा रहा है और न ही उनका इलाज किया जा रहा है। हमारे सदस्य कर्नाटक निजी मेडिकल प्रतिष्ठान (केपीएमई) अधिनियम के खिलाफ हड़ताल पर हैं।

निजी अस्पतालों में बहुत कम संख्या में चिकित्सक ड्यूटी पर हैं जो अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों को देख रहे हैं और आपातकालीन स्थिति में सेवाएं मुहैया करा रहे हैं।

बेंगलुरु से 500 किलोमीटर दूर बेलगावी में राज्य के करीब 25 हजार निजी चिकित्सक प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। यहां सोमवार से कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ है।

वीरन्ना ने कहा, प्र्दशन से हमारा मकसद सरकार और विधायकों का ध्यान इस विधेयक में संशोधन की तरफ लाना है जिसमें चिकित्सक विरोधी और मरीज विरोधी प्रावधान हैं जो निजी स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को खतरे में डाल देगा।

विधानसभा और परिषद का यह 10 दिवसीय सत्र हर साल शीत ऋतु में बेलगावी में आयोजित किया जाता है जहां राज्य के उत्तरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मुद्दों को उठाया जाता है।

वीरन्ना ने कहा, अगर सरकार ने विधेयक में से कठोर प्रावधान को हटाने की हमारी मांग को नहीं माना तो हम मंगलवार से भूख हड़ताल करेंगे।

बेंगलुरु के पांच हजार निजी अस्पताल समेत राज्य के करीब 45 हजार निजी अस्पताल, चिकित्सकों की हड़ताल के कारण 3 नवंबर से बंद हैं। चिकित्सकों की मांग है विधेयक में किए गए प्रावधानों जैसे कारावास, भारी जुर्माना, निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में विभिन्न उपचारों या सर्जरी के लिए लागत को विनियमित करने जैसे संशोधनों को बदला जाए।

वीरन्ना ने कहा, हालांकि हमने स्वास्थ्य मंत्री (रमेश कुमार) को विधेयक पर हमारी आपत्तियों के बारे में बताया है और मुख्यमंत्री (सिद्धारमैया) से हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

आईएमए के राज्य अध्यक्ष एच.एन. रवींद्र ने कहा, यहां तक कि विधेयक में सख्त प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए राज्य विधान मंडल की चयन समिति ने हमें चर्चा के लिए भी नहीं बुलाया गया है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य सचिव अजय सेठ ने सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अस्पताल के बाहय-रोगी विभाग में अधिक डॉक्टर नियुक्त करें ताकि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों के बंद होने के कारण परेशानी से निपटा जा सके।

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नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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