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मुख्य समाचार

एलजीबीटी प्राइड मंथ पर फेसबुक ने शामिल किया इंद्रधनुषी ईमोजी

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फेसबुक ने हर साल जून में मनाए जाने वाले एलजीबीटी प्राइड मंथ के मौके पर समुदाय के प्रति अपना समर्थन जाहिर करते हुए एक इंद्रधनुषी ईमोजी शामिल किया है। फेसबुक ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, दुनियाभर में प्राइड (एलजीबीटी प्राइड मंथ) का जश्न मनाया जा रहा है। फेसबुक को इस विस्तृत समुदाय का समर्थन करने को लेकर गर्व है।

फेसबुक ने साथ ही कहा कि इस साल फेसबुक पर होने वाले 7,500 से अधिक प्राइड कार्यक्रमों में 15 करोड़ लोगों के शामिल होने की योजना है।

फेसबुक ने अपने कैमरे में प्राइड थीम वाले फ्रेम भी शामिल किए हैं। साथ ही इस सोशल नेटवर्किं ग साइट ने यूजर्स को उनके न्यूज फीड्स पर ‘हैप्पी प्राइड’ का शुभकामना संदेश भी भेजा है।

यूजर्स को साथ ही फेसबुक के संदेश पर प्रतिक्रिया करने पर अपने न्यूजफीड में सबसे ऊपर एक विशेष एनिमेशन भी दिखाई दे सकता है।

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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