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एनटीपीसी हादसे ने दिखाया उप्र की स्वास्थ्य सेवाओं को आईना

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लखनऊ, 5 नवम्बर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में रायबरेली जिले के ऊंचाहार में स्थित नेशल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) में बुधवार को बॉयलर फटने की घटना ने उप्र की स्वास्थ्य सेवाओं की भी पोल खोलकर रख दी है। हादसे में गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को आनन-फानन में लखनऊ इस उम्मीद से लाया गया कि मरीजों का बेहतर इलाज हो सकेगा। यह उप्र की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का ही आलम है कि यहां एक से बढ़कर एक अस्पताल तो हैं, लेकिन इनमें अभी तक एक बर्न यूनिट भी नहीं खुल पाई है।

संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू), राम मनोहर लोहिया अस्पताल जैसे नामी अस्पताल यहां मौजूद हैं, लेकिन इनमें अभी तक बर्न यूनिट नहीं है। एनटीपीसी में हुए हादसे के बाद मरीजों को यहां बेहतर इलाज के लिए लाया तो गया, लेकिन वहां भी जैसे-तैसे ही इनका इलाज चल रहा है।

लखनऊ के इन अस्पतालों के अधिकारी दबी जुबान स्वीकारते हैं कि काफी समय से बर्न यूनिट की आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन पिछले दो दशकों से उप्र में काबिज सरकारों के ढुलमुल रवैये की वजह से इन अस्पतालों में बर्न यूनिट नहीं खुल पाई।

केजीएमयू के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, पिछले 10 वर्षो से केजीएमयू में बर्न यूनिट बनाने का प्रस्ताव अटका हुआ है। अभी तक इसे शासन की मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसकी वजह से ही आग में झुलसे मरीजों का उचित इलाज नहीं हो पाता है। बेहतर इलाज के अभाव में वे निजी अस्पतालों का रुख कर लेते हैं।

अधिकारी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद यहां एक भी बर्न यूनिट नहीं है। लिहाजा कई बार मरीज लौट जाते हैं। एक प्रस्ताव बनाकर शासन के पास भेजा गया है, लेकिन अभी यह ठंडे बस्ते में है।

राजधानी में स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में ही एक बर्न यूनिट है। सिविल अस्पताल की बर्न यूनिट 40 बिस्तरों की है। यहां मरीजों के इलाज के लिए दो चिकित्सक और 10 पैरामेडिकल स्टॉफ हैं। इस यूनिट को छोड़ दें तो लखनऊ में एक भी अस्पताल नहीं है, जहां आग में झुलसे मरीजों का इलाज हो सके।

अधिकारियों के मुताबिक, पूरी तरफ से झुलसे मरीजों को संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है, लिहाजा बर्न यूनिट में ही उनका बेहतर तरीके से इलाज हो सकता है।

एनटीपीसी में हुए हादसे ने उप्र की स्वास्थ्य सेवाओं को सही मायने में आईना दिखाया है। उप्र की राजधानी लखनऊ में जब बड़े अस्पतालों की यह हालत है तो बाकी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

केजीएमयू की तरह ही एसजीपीजीआई में भी इलाज के लिए दूर-दूर से मरीज आते हैं। लेकिन आज तक इस अस्पताल में बर्न यूनिट स्थापित नहीं हो सकी है। एसजीपीजीआई प्रशासन का कहना है कि यहां बर्न यूनिट का होना बहुत जरूरी है। लेकिन यह फैसला शासन स्तर पर होना है, लिहाजा इस बारे में कुछ भी बोलना सही नहीं है।

केजीएमयू और एसजीपीजीआई के बाद राममनोहर लोहिया अस्पताल में भी काफी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डी.एस. नेगी के मुताबिक, बर्न यूनिट को लेकर पहले ही कई अस्पतालों का प्रस्ताव लंबित पड़ा हुआ है। लिहाजा अभी बर्न यूनिट से संबंधित कोई प्रस्ताव शासन के पास नहीं भेजा गया है।

अस्पतालों में बर्न यूनिट के अभाव को लेकर उप्र के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने कहा, राजधानी के कुछ अस्पतालों में बर्न यूनिट नहीं हैं। यहां बर्न वार्ड से काम चल रहा है। लोहिया अस्पताल सहित कुछ प्रमुख अस्पतालों में बर्न यूनिट शुरू करने की दिशा में काम चल रहा है।

गौरतलब है कि ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी संयंत्र में बुधवार को बॉयलर फटने से कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 लोग बुरी तरह से झुलस गए थे। इनमें से अधिकांश लोगों को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के मेडिकल कॉलेज, एसजीपीजीआई और सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शनिवार को इन अस्पतालों का दौरा कर हादसे में घायल हुए लोगों का हालचाल जाना।

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दिल्ली बनी आग की भट्ठी, टूट गए सारे रिकार्ड, पारा 52 डिग्री के पार

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नई दिल्ली। दिल्ली में गर्मी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। यहाँ पारा 52 डिग्री को भी पार कर गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार को दोपहर ढाई बजे मुंगेशपुर में 52 डिग्री से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। जब दिल्ली के मंगेशपुर में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, उस वक्त का औसत तापमान- 45.8 डिग्री था।

मौसम विभाग के अनुसार अब तक राजधानी में इतना अधिक तापमान कभी दर्ज नहीं किया गया। इससे पहले 15 मई, 2022 को दिल्ली में कॉमनवेल्थ स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स का तापमान 49.2 डिग्री तक पहुंचा था। मौसम विभाग ने बताया कि बुधवार को भी इसी तरह की गर्मी रह सकती है। बुधवार के लिए गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया गया है। इसके बाद तापमान में कुछ कमी आएगी, लेकिन उमस भरी गर्मी लोगों की परेशानियां बढ़ा देगी। 31 मई और 1 जून को बूंदाबांदी होने की संभावना है।

मौसम विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि नजफगढ़ और मुंगेशपुर में इतना अधिक तापमान दर्ज किया गया, क्योंकि ये शहर के बाहरी इलाके थे। उन्होंने कहा, “दूसरा कारण हवा की दिशा है। जब हवा पश्चिम से चलती है तो उन क्षेत्रों को सबसे पहले प्रभावित करती है। चूंकि वे बाहरी इलाके में हैं, तापमान तेजी से बढ़ता है।” श्रीवास्तव ने कहा कि शहर में लू का प्रकोप अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा।

मौसम विभाग और डॉक्टरों ने जरूरी काम न हो तो घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है। लोग घरों में ही रहें तो लू की चपेट में आने से बच सकते हैं। साथ ही खुद को ठंडा रखने के लिए पानी, नींबू पानी पीते रहें। अगर दोपहर में घर से बार जाना है तो खुद को ढककर निकलें, ताकि लू से बचा जा सके।

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