अन्तर्राष्ट्रीय
इजरायल से आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन पर मुखर्जी की चर्चा
जरूशलम। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बुधवार को इजरायली नेतृत्व के साथ अपनी बातचीत में आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। राष्ट्रपति मुखर्जी इजरायल के राष्ट्रपति रेउवेन रिवालिन और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत कर रहे हैं। वह इजरायली संसद नेसेट को भी संबोधित करने वाले हैं।
राष्ट्रपति मुखर्जी का बुधवार सुबह औपचारिक स्वागत किया गया। हाल ही में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हुई हिंसक झड़पों के संदर्भ में मुखर्जी ने कहा, “हाल की हिंसा से हम चिंतित हैं। भारत सभी तरह की हिंसा की निंदा करता है। हम हमेशा मसलों के शांतिपूर्ण समाधान का पक्ष लेते रहे हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा, “मैं इजरायली नेतृत्व से हाल की घटनाओं पर उनका नजरिया जानूंगा। क्षेत्र की इन घटनाओं से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ी है और भारत पर इसका सीधा असर पड़ता है।” मुखर्जी फिलिस्तीन की यात्रा के बाद इजरायल आए हैं। फिलिस्तीन ने उनसे आग्रह किया था कि वह विवाद के मुद्दे को इजरायल के सामने उठाएं।
राष्ट्रपति ने फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना और पूर्वी जेरूशलम को इस राष्ट्र की राजधानी बनाने के प्रति भारत के समर्थन को फिलिस्तीन में दोहराया था। लेकिन, इजरायली नेतृत्व इस बात से चिंतित है कि मुखर्जी ने फिलिस्तीन के सामने उसके नजरिए के हिसाब से हिंसा का मुद्दा नहीं उठाया। राष्ट्रपति मुखर्जी की इजरायली नेतृत्व से कृषि, रक्षा, शिक्षा, शोध, विज्ञान और साइबर सुरक्षा पर भी बातचीत होनी है।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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