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आरक्षण की रक्षा के लिए जान लगा दूंगा : मोदी
बक्सर/सीवान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सोमवार को चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में मिले आरक्षण की रक्षा के लिए वह जान की बाजी लगा देंगे। मगर धर्म के आधार पर आरक्षण को उन्होंने गलत बताया। बक्सर और सीवान में अलग-अलग चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा के आह्वान का लाभ बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन को मिलता देख कहा, “आरक्षण की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दूंगा। लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण गलत है।”
उन्होंने महागठबंधन को घेरते हुए कहा, “वे लोग दलितों, महादलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों का पांच प्रतिशत आरक्षण छीनकर वोट की खातिर दूसरे धर्म को देने का षड्यंत्र कर रहे हैं।” मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि ये लोग आरक्षण की इतनी बातें करते हैं, लेकिन जब संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात आती है तो विरोध क्यों करते हैं? सोनिया गांधी भी आज महिला आरक्षण विरोधी लोगों के साथ क्यों खड़ी हैं?
मोदी ने लालू प्रसाद को बड़े भाई और नीतीश कुमार को छोटे भाई बताते हुए कहा, “दोनों भाइयों ने बिहार में 25 वर्षो तक शासन किया, लेकिन आज चुनाव के समय हिसाब नहीं दे रहे हैं, उल्टे हमारे काम का हिसाब मांग रहे हैं।” उन्होंने नीतीश के कंप्यूटर वितरण योजना पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अरे नीतीश बाबू, ये तो बताइए कि बिजली नहीं होगी तो ये चलेगा कैसे। और तो और, आपके कंप्यूटर में तो ‘लालू वायरस’ है। ‘जंगलराज’ फैलाने वाले लालू जी का वायरस। इसलिए यहां के युवाओं को आपका कंप्यूटर नहीं चाहिए।”
अपने पद के स्तर से एक पायदान नीचे उतरते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) जहां इस चुनाव में विकास की बात कर रहा है, वहीं नीतीश और लालू में इस बात की स्पर्धा चल रही है कि मोदी को कौन ज्यादा गाली और चांटा मार सकता है। मोदी ने विकास की छह सूत्री कार्यकमों की बात करते हुए कहा कि उनके पास बिहार के लिए जहां तीन सूत्री कार्यक्रम बिजली, पानी और सड़क है, वहीं बिहार के परिवारों के लिए पढ़ाई, कमाई और दवाई उपलब्ध कराने के कार्यक्रम हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में राजग सरकार बनने के बाद इन योजनाओं पर काम किया जाएगा।
उन्होंने राजद प्रमुख और मुख्यमंत्री को नसीहत देते हुए कहा, “लालू और नीतीश जी, आप जितना कीचड़ उछालोगे उतना ही कमल खिलेगा, यह 90 का कालखंड नहीं है। यहां के लोग अब समझदार हो गए हैं।” मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “बिहार में तो कांग्रेस का अता-पता ही नहीं है। इसका मतलब है कि महागठबंधन ने राजग को 40 सीटें चुनाव के पहले ही दे दी हैं।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 35 साल तक बिहार में शासन किया है, उन्हें भी अपना हिसाब देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि पूर्वी भारत के विकास के बिना पूरे भारत का विकास नहीं हो सकता। बिहार के किसानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब में पांच नदियां हैं और वह क्षेत्र विकसित है तथा बिहार में तो जिधर भी देखो पानी ही पानी है। अगर इस पानी को खेतों तक पहुंचा दिया जाए, तब यहां के किसान पूरे देश का पेट भर सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के लोग रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं। यह चिंता की बात है। मोदी ने कहा कि देश में दूसरी हरित क्रांति बिहार से ही आ सकती है। यहां के किसानों को अगर मौका और सुविधा मिल जाए तो यहां के किसान मिट्टी से भी सोना उपजा सकते हैं।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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