हेल्थ
आंखों की रोशनी यूं रखें बरकरार
नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| यह तकनीकी युग है और हम फोन चेक करने, कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते हुए काम करने, गेम खेलने और टेलीविजन देखने जैसे काम ज्यादा करते हैं, जिससे हमारी आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। स्वस्थ आंखों के लिए पौष्टिक भोजन का सेवन, व्यायाम और आंखों का ख्याल रखना जरूरी है। गुरुग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल के नेत्र विभाग के प्रमुख संजय वर्मा और बेंगलुरू के नारायण नेत्रालय के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक के. भुजंग शेट्टी ने आंखों की देखभाल के कुछ आसान उपाय बताए हैं :
* स्वस्थ आंखों के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है, जो आंखों की रिपेयर और रिकवरी में सहायक होती है। आठ घंटे की अच्छी नींद लंबे समय तक आपके आंखों की अच्छी रोशनी बरकरार रखेगी।
* सुचारू रूप से काम करने के लिए हमारी आंखों को कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जियां और प्रोटीन युक्त आहार आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं।
* नियमित व्यायाम न सिर्फ आपके शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखते हैं, बल्कि आंखों को भी अधिक खून और ऑक्सीजन पंप करते हैं, जिससे आंखें स्वस्थ रहती हैं।
* कार्यालयों से संबंधित अधिकांश कार्यो में कंप्यूटर स्क्रीन पर लगातार देखते रहना पड़ता है, जिससे आंखों की रोशनी प्रभावित होती है और धुंधला दिखने जैसी समस्या हो सकती है, इसलिए काम के दौरान बीच में थोड़ा विराम जरूर लें। हर 20 मिनट पर कम से कम 20 सेकेंड के लिए विराम लें।
* नियमित रूप से साल में दो बार आंखों की जांच कराने से आप अपनी आंखों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहेंगे। इससे नेत्र संबंधी कोई समस्या होने पर सही समय पर सही कदम उठाने में मदद मिलती है।
* अपनी आंखों को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित रखें और अगर संभव हो तो अच्छी क्वालिटी के सनग्लासेज पहनें।
योग एवं आयुर्वेद
ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी
नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-
- रनिंग
रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।
- वेट लिफ्टिंग
वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।
- योगा
बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।
- धूप का सेवन
धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।
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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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