अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिकी रोजगार रपट जारी होने के बाद सोने में तेजी
शिकागो| अमेरिकी रोजगार रपट जारी होने के बाद न्यूयार्क र्मक टाइल एक्सचेंज के कॉमेक्स डिविजन पर सोने के वायदा भाव में तेजी दर्ज की गई है।
दिसंबर डिलिवरी के लिए सोने का सर्वाधिक सक्रिय ठेका शुक्रवार को चार डॉलर (0.37 प्रतिशत) वृद्धि के साथ 1,094.10 प्रति औंस रहा।
अमेरिकी श्रम विभाग की ओर से जारी एक रपट के अनुसार, जुलाई में गैर कृषि रोजगार में 215,000 की वृद्धि हुई। इससे सोने को मजबूती मिली है।
रपट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत पर यथावत बनी हुई है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह रपट इस बात का पर्याप्त वजह बनती है कि फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दर में वृद्धि पर लगातार विचार करे।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में वृद्धि से निवेशक सोने की खरीददारी से दूर होंगे और संपत्तियों की ओर झुकेंगे, क्योंकि सोने पर कोई ब्याज नहीं मिलता।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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