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अमरनाथ के लिए यात्रियों का एक और जत्था रवाना

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जम्मू,कश्मीर घाटी,अमरनाथ गुफा के दर्शन,भगवती नगर यात्री निवास, बलटल तथा चंदनवाड़ी

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जम्मू | कश्मीर घाटी स्थित अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए 2,200 से अधिक यात्रियों का एक और जत्था रविवार को यहां से रवाना हुआ। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यहां बताया, “2,219 यात्रियों का दूसरा जत्था जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से सुबह 4.50 बजे सुरक्षा घेरे के बीच निकला।”

480 से अधिक महिलाएं तथा 27 बच्चे भी इस जत्थे में शामिल हैं। इस वर्ष वार्षिक अमरनाथ यात्रा दो जुलाई को शुरू हुई जो 29 अगस्त को सावन पूर्णिमा के दिन समाप्त होगी। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यात्रा सरल तरीके से जारी है और सुरक्षा तथा संचालन के मुद्दे पर ध्यान दिया जा रहा है।” तीर्थयात्रियों को गुफा के दर्शन के लिए समुद्र से 14,500 फुट ऊपर चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसके लिए वे पारंपरिक पहलगाम और आधुनिक बलटल आधार शिविर का रास्ता अपनाते हैं।

हेलीकॉप्टर की सेवाएं भी बलटल तथा चंदनवाड़ी (पहलगाम) आधार शिविर पर उपलब्ध रहती हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय मुस्लिम घोड़ेवाले उन्हें 14 किलोमीटर लंबे बलटल और तथा 46 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से गुफा तक की यात्रा में मदद करते हैं।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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