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अब बंद भी करो आरक्षण की राजनीति

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आरक्षण, माननीय सुप्रीम कोर्ट, जाट आरक्षण रद्द, जातिगत रूप से पिछड़ेपन, आरक्षण का लाभ, वोट बैंक, आरक्षण का आधार सामाजिक क्यों ॽ, आर्थिक व योग्य ता क्योंस नहींॽ

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नई दिल्‍ली। कहते हैं गलती करना नहीं बुरा होता बल्कि गलती होने और उसे समझने के बाद भी गलती करते रहना बुरा होता है। कुछ ऐसी ही गलती आरक्षण के मामले में देश के तमाम कर्णधारों ने लगातार की है। हो सकता है मेरी जाति को लेकर लोग इस आर्टिकल पर सवाल उठाएं लेकिन शुक्र है कि मैं राजनेता नहीं हूं और सच कहने की हिम्‍मत भी रखता हूं।

बात शुरू होती है माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाट आरक्षण रद्द किए जाने और उससे भी बढ़कर आरक्षण के आधार पर सवाल खड़ा करने को लेकर। माननीय कोर्ट ने अपने फैसले में जो सबसे बड़ी बात कही वह यही है कि सिर्फ जातिगत रूप से पिछड़ेपन को आधार बनाकर आरक्षण का लाभ नहीं पाया जा सकता। यह एक स्‍वागत योग्‍य फैसला है क्‍योंकि जाटों को किसी भी रूप से न तो सामाजिक और न ही आर्थिक पिछड़ा कहा जा सकता है। वैसे भी जाट आरक्षण का कार्ड वोट बैंक की खातिर खेला गया था लेकिन मेरा सवाल इससे भी आगे का है।jat reservation

सवाल यह है कि आरक्षण का आधार सामाजिक क्‍योंॽ आर्थिक व योग्‍यता क्‍यों नहींॽ सामाजिक पिछड़़ेपन का ही आधार क्‍या हैॽ यदि समाज को कार्यों के आधार पर वर्गीकृत करें तो भी आज परिदृश्‍य वह नहीं है जो पहले कभी हुआ करता था। यदि जातियों के पिछड़ेपन का आधार आर्थिक बनाते हैं तो कई तथा‍कथित अगड़ी जातियां पिछड़ेपन का शिकार हैं। तथा‍कथित मैंने क्‍यों कहा वह बताता हूं, आज आरक्षण का लाभ जाति के आधार पर पाने वाले आर्थिक रूप से काफी समृद्ध वैश्‍य बिरादरी की दुकानों, प्रतिष्‍ठानों, कार्यालयों व शोरूमों पर यही तथाकथित अगड़ी जाति के ब्राह्मण, राजपूत व कायस्‍थ बिरादरी के लोग झाड़ू लगाते मिल जाएंगे। यही नहीं सुलभ शौचालयों में पानी डालते हुए भी इसी तथाकथित बिरादरी के लोग मिल जाएंगे। अब पिछड़ा कौन हुआॽ

इमानदारी के जवाब दिया जाय तो आरक्षण का आधार सामाजिक होना ही नहीं चाहिए, क्‍योंकि कोई समाज नहीं पिछड़ा होता बल्कि समाज में रहने वाले लोग पिछड़े होते हैं। भारत एक भरपूर विविधताओं वाला देश है। यहां तमाम सामाजिक बुराइयों व वर्जनाओं के बावजूद भी लोग एक दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हैं ऐसे में आरक्षण द्वारा सामाजिक विघटन की प्रक्रिया बंद होनी चाहिए। इसके लिए राजनेताओं का मुंह ताकने के बजाय समाज को ही आगे आना होगा क्‍योंकि सबकुछ हम राजनेताओं पर ही नहीं छोड़ सकते।

मैं एक उदाहरण देता हूं। वैश्‍य बिरादरी जैसा कि सभी जानते हैं मुख्‍यतः व्‍यापार करती है। संगठनात्‍मक रूप से काफी मजबूत है। सामाजिक और आर्थिक रूप से भी इस बिरादरी को पिछड़ा कतई नहीं कहा जा सकता। कुछ प्रतिशत लोगों की बात छोड़ दें तो अधिकतर लोग संपन्‍न व सुखी हैं लेकिन फिर हमारे संविधान के अनुसार इन्‍हें जातिगत आधार पर आरक्षण का लाभ मिलता है। अब यह कहां का न्‍याय हैॽ

आरक्षण वैसे भी संविधान के समानता के सिद्धांत का खुला उल्‍लंघन करता है। अन्‍य सभी क्षेत्रों में समानता की बात करने वाले लोग आरक्षण के संदर्भ में दोमुंही बात क्‍यों करते हैंॽ यह समझ से परे है। गलतियों को अब भी सुधारा जा सकता है क्‍योंकि सवाल बहुत हैं और जवाब बहुत कम। वोटबैंक की राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है। इस राजनीति ने हमें बहुत सी समस्‍याएं विरासत में दी हैं लेकिन गलती सुधारने का कोई निश्चित समय नहीं होता। सुना है जब जागो तभी सवेरा और वैसे भी अंततः नेशन फर्स्‍ट

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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