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अन्तर्राष्ट्रीय

अफगानिस्तान में भूकंप में मरने वालों की संख्या 83 हुई

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काबुल। अफगानिस्तान में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 83 हो गई है। मीडिया र्पिोट में मंगलवार को यह जानकारी मिली।

भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 मापी गई। भूकंप का केंद्र हिंदुकुश पर्वत श्रृंखलाथी। भूकंप में 300 लोग घायल हो चुके हैं और 4,000 के करीब घर तबाह हुए हैं।

नंगरहार प्रांत के स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि भूकंप में 83 लोग मारे गए हैं, जिनमें 12 स्कूली छात्राएं शामिल हैं। वेबसाइट ‘टोलो न्यूज’ ने मंगलवार को कहा, “मृतकों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है, क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों में भूकंप के कारण भूस्खलन हो गया है और दूरसंचार सेवाएं स्थगित हो गई हैं, जिसके चलते उन जगहों पर प्रवेश मुश्किल है।”

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पीड़ितों के परिजनों के साथ संवेदना व्यक्त की है। राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट द्वारा जारी बयान में कहा गया, “गनी ने पीड़ितों को आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए एक आकलन समिति गठित की है।” इस भूकंप को अफगानिस्तान के अब तक के इतिहास में सबसे विनाशकारी माना जा रहा है। भारत, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने भूकंप प्रभावित अफगानिस्तान और पाकिस्तान के समक्ष सहायता प्रस्ताव रखा है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गनी से फोन पर संपर्क कर भूकंप के कारण हुई जान-माल की हानि के लिए संवेदना व्यक्त की और साथ ही भूकंप से प्रभावित इलाकों में मदद का आश्वासन भी दिया। अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) ने मंगलवार को भूकंप प्रभावित लोगों के लिए सहायता वितरण पर चर्चा के लिए एक बैठक की।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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