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हिंसाग्रस्त दार्जिलिंग की सड़क पर उतरीं ममता, फंसे पर्यटकों से मुलाकात की

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दार्जिलिंग, 9 जून (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यहां मॉल रोड पर चहलकदमी की और यहां फंसे हजारों पर्यटकों की कुशलता तथा उन्हें बाहर निकालने के लिए किए गए परिवहन के इंतजामों का जायजा लिया। गोरखालैंड कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा तथा आगजनी के बाद ममता ने दार्जिलिंग में अपने प्रवास की अवधि बढ़ा दी है। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा किए गए हंगामे तथा बंद को ‘समृद्धि की देवी को दुख पहुंचाना’ करार दिया, क्योंकि पहाड़ी इलाके की आजीविका का मूल आधार पर्यटन है। गुरुवार को हुई हिंसा के बाद 45,000 पर्यटक फंस गए, जिनमें से 15,000 लोग दार्जिलिंग में जबकि 30,000 लोग अन्य पहाड़ी हिस्सों में फंसे हुए हैं।

ममता ने कहा, पर्यटक दार्जिलिंग के लिए देवी लक्ष्मी समान हैं। इस तरह तोड़फोड़ कर वे दार्जिलिंग की लक्ष्मी को दूर कर रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि वे किस तरह के आंदोलन में लिप्त हैं।

जीजेएम ने ‘अपने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ भेदभावपूर्ण पुलिस कार्रवाई’ के विरोध में उत्तरी बंगाल के पहाड़ी इलाकों में 12 घंटों के बंद का आह्वान किया है, जिनमें दार्जिलिंग व कलिमपोंग जिला तथा मिरिक प्रमंडल शामिल हैं।

अपने अधिकारियों के साथ दार्जिलिंग के मॉल रोड पर चहलकदमी करते हुए उन्होंने फंसे पर्यटकों के लिए परिवहन व्यवस्था का जायजा लिया और कभी-कभी रुक कर परेशान पर्यटकों की शिकायतें सुनीं और उन्हें चिंता नहीं करने को कहा।

उन्होंने कुछ पर्यटकों को सलाह दी, कृपया तेनजिंग नॉर्गे बस अड्डा पहुंचिए। वहां से 8-10 बसें सिलिगुड़ी जा रही हैं। हमने सिलिगुड़ी से कोलकाता के लिए मुफ्त में बसों की व्यवस्था की है। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।

ममता ने कहा, राज्य सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। केवल बंगाल ही नहीं राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा तथा यहां तक कि विदेशों से भी यहां पर्यटक आते हैं। हम सबकी मदद करेंगे।

घाटी में हिंसा फैलाने के प्रयास के लिए जीजेएम के प्रमुख बिमल गुरुं ग पर कटाक्ष करते हुए ममता ने स्थानीय लोगों को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और उनसे गुरुं ग की विचारधारा का समर्थन न करने की अपील की।

उन्होंने कहा, हम दार्जिलिंग के भाइयों व बहनों के साथ हैं। हम उनका पूर्ण समर्थन करेंगे और उनसे बिमल गुरुं ग की विचारधारा का समर्थन नहीं करने को कहेंगे।

ममता ने गुरुवार को यहां मंत्रिमंडल की बैठक की। 45 वर्षो के इतिहास में पहली बार इस पहाड़ी जिले में मंत्रिमंडल की बैठक हुई है। बैठक के बाद क्षेत्र के गंभीर हालात तथा पर्यटकों के फंसे होने को लेकर ममता तथा दो मंत्री दार्जिलिंग में ही ठहरे हुए हैं।

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नेशनल

सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस, अदालत की सुनवाई वाली प्रक्रिया का वीडियो बनाकर किया था सार्वजनिक

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ये नोटिस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने पर भेजा है।

सुनीता केजरीवाल और 5 अन्य लोगों के खिलाफ जनहित याचिका दायर करके आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने कोर्ट की सुनवाई वाली प्रक्रिया का वीडियो बनाकर सार्वजनिक किया, जो अपराध है। कोर्ट ने सुनीता केजरीवाल को जो नोटिस भेजा है, उसमें अदालती कार्यवाही का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया गया है। अगर वे ऐसा नहीं करती तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वीडियो गत 28 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के दौरान रिकॉर्ड किया गया था।

याचिका अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर की गई, जिन्होंने कई सोशल मीडिया हैंडल का नाम भी लिया। सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि केजरीवाल द्वारा 28 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाई और उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया।

28 मार्च को केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कोर्ट में पेश किया गया था। केजरीवाल ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट को संबोधित किया और कहा कि ईडी भाजपा के लिए जबरन वसूली का रैकेट चला रहा है। सिंह के अनुसार सुनवाई खत्म होने के तुरंत बाद कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को पोस्ट, रीपोस्ट, फॉरवर्ड, शेयर, रीशेयर करना शुरू कर दिया।

सुनीता केजरीवाल ने अक्षय नाम के एक एक्स (ट्विटर) अकाउंट द्वारा अपलोड की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग को रीपोस्ट किया। सिंह ने तर्क दिया कि कोर्ट के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय नियम 2021 के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है और इन वीडियो को वायरल करना न्यायपालिका और न्यायाधीशों की छवि को खराब करने का एक प्रयास है।

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