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‘पद्मावती’ में डिस्क्लेमर, संशोधन, नाम बदलने की सीबीएफसी की सिफारिश

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मुंबई, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म ‘पद्मावती’ को ‘कुछ बदलावों के साथ’ यू/ए प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है और फिल्म-निर्माता से कहा है कि फिल्म का नाम बदलकर ‘पद्मावत’ कर दिया जाए। हालांकि, इस सुझाव पर मेवाड़ राजवंश और फिल्म जगत के कई सदस्यों ने कड़ा एतराज जताया है।

यह फैसला सीबीएफसी प्रमुख प्रसून जोशी की उपस्थिति में हुई जांच समिति की एक बैठक में गुरुवार को लिया गया था। विशेष समिति में उदयपुर से अरविंद सिंह, जयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के.के. सिंह और डॉ. चन्द्रमणि सिंह शामिल थे।

सीबीएफसी के अनुसार, फिल्म को ‘फिल्मकार और समाज दोनों को ध्यान में रखते हुए संतुलित ष्टिकोण’ से देखा गया है। बोर्ड ने भारत में पर्दो पर दिखाए जाने के लिए प्रमाण-पत्र देने से पहले संशोधन करने और नाम बदलने के लिए कहा है। खबरों के मुताबिक 26 कट लगाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन सीबीएफसी ने इससे इंकार किया है।

सीबीएफसी ने कहा, फिल्म के प्रति जटिलताओं और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, एक विशेष समिति की आवश्यकता महसूस की गई, ताकि अंतिम निर्णय में परिप्रेक्ष्य जोड़ने के लिए आधिकारिक समिति को सौंपा जा सके।

‘पद्मावती’ पहले एक दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विवादों में उलझ जाने के कारण रिलीज टाल दी गई। राजपूत समुदाय के एक संगठन करणी सेना ने फिल्म पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध का आग्रह किया था, क्योंकि इसमें ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ किया गया है। राजपूत संगठन के सदस्यों ने इस वर्ष की शुरुआत में भंसाली पर शारीरिक रूप से जयपुर में शूटिंग के दौरान हमला किया। उन्होंने मुंबई के बाहरी इलाके में भी फिल्म के सेट को जला दिया था।

विवाद ने उस वक्त हिंसक मोड़ ले लिया, जब भंसाली और दीपिका के खिलाफ धमकियां जारी की गईं।

सीबीएफसी द्वारा आगे बढ़ने के बावजूद, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने शनिवार को फिल्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध की मांग की और कहा कि जो भी थिएटर फिल्म को दिखाएंगे, उनमें तोड़फोड़ किया जाएगा।

इससे पहले 30 नवंबर को भंसाली एक संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए थे और उन्होंने कहा था, फिल्म पर सभी विवाद अफवाहों पर आधारित हैं। मैंने गलत तथ्य नहीं दिए हैं। यह फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी के काव्य पर आधारित है। उन्होंने 16 वीं शताब्दी के भारतीय सूफी कवि के महाकाव्य ‘पद्मावत’ का उल्लेख किया था।

बोर्ड ने कहा कि एक बार आवश्यक संशोधन किए जाने और अंतिम सामग्री जमा करने के बाद प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।

सीबीएफसी के सुझावों की हालांकि मेवाड़ राजवंश ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने प्रसून जोशी को एक पत्र में अपनी निराशा व्यक्त की है, जिसकी एक प्रति आईएएनएस के पास है।

मेवाड़ राजवंश के 76वें महाराणा और पूर्व लोकसभा सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे महाराजकुमार विश्वराज सिंह ने कहा है कि वह गुरुवार को समिति का हिस्सा होना चाहते थे, जो अंत में नहीं हो सका और यह निर्णय सेंसर बोर्ड द्वारा उनकी सहमति के बिना ही ले लिया गया।

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नेशनल

RSS नेता इंद्रेश कुमार का बीजेपी पर निशाना, कहा- अहंकार किसी का नहीं टिका, फिर किसी राजनीतिक दल की क्या बिसात

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नई दिल्ली। सरसंघ चालक मोहन भागवत के बाद अब आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा ‘जो अहंकारी हो गए हैं, उन्हें 241 पर रोक दिया। जिनकी राम के प्रति आस्था नहीं थी, अश्रद्धा थी। उन सबको मिलकर 234 पर रोक दिया। यही प्रभु का न्याय है।’

यही नहीं इंद्रेश कुमार ने बीजेपी को लेकर कहा कि अहंकार किसी का भी नहीं टिका है तो फिर किसी राजनीतिक दल की क्या बिसात है। लोकतंत्र में राम राज्य का विधान देखिए राम की भक्ति तो की लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, सबसे बड़ी पार्टी बने जरूर लेकिन बहुमत नहीं मिला, जो वोट की ताकत मिलना चाहिए थी उस पर अहंकार की चोट भारी पड़ गई।

वहीं इंद्रेश कुमार के बयान के बाद तमाम दलों को बीजेपी को घेरने का मौका मिल गया है। ताजा बयान एनडीए की सहयोगी दल एनसीपी का है। पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा है कि महाराष्ट्र में एनसीपी ने 2 सीट पर चुनाव लड़ा और एक पर जीत हासिल की, लेकिन जिस यूपी को लेकर बीजेपी इतनी आश्वस्त थी वहां उसका बुरा हाल हुआ है। ये घमंड ही है जिसकी वजह से बीजेपी ने यूपी में इतनी कम सीट पर जीत दर्ज की है।

वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी आरएसएस-बीजेपी के चल रहे विवाद पर तंज कसा है। संजय राउत ने सवाल किया है कि क्या संघ के लोगों में हिम्मत है कि वह बीजेपी से बगावत कर सकें? बीजेपी में तो ऐसे कई लोग है जो आरएसएस से बगावत कर रहे हैं, जेपी नड्डा इसका बड़ा उदाहरण है जो सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि अब बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है। संजय राउत ने कहा कि इस तरह चुप बैठने से काम नहीं चलेगा?

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