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अन्तर्राष्ट्रीय

एक मुसलमान दाढ़ी क्यों रखता है? इसलिए नहीं कि आतंकी हमले में बच जाए, हम बताते हैं

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नई दिल्ली। किसी व्यक्ति की वेश-भूषा या तो आपको प्रभावित करेगी या आपके मन में एक सवाल छोड़ जाएगी। आमतौर पर नहीं, पर गौर करने वालों के मन में अक्सर मुस्लिम वेश-भूषा सवाल छोड़ जाती होगी। सवाल उनकी दाढ़ी को लेकर, सवाल उनकी टोपी को लेकर। आज-कल तो टीवी के बनाए हुए इतने तथाकथित विद्वान आ गए हैं कि अपनी सुविधानुस्सार चीज़ों का कारण बना देते हैं। लेकिन ऐसे किसी भी विद्वान से आपको बचने की ज़रुरत है क्योंकि वो आपके मन में सिवाय ज़हर के और कुछ नहीं घोलेंगे। सच आपको हम बताते हैं।

लंदन विश्वविद्यालय में ओरिएंटल और अफ्रीकी अध्ययन स्कूल के प्रोफेसर मोहम्मद अब्देल हलीम कहते हैं, “यह मुस्लिम विद्वानों द्वारा व्यक्त सिर्फ एकमात्र विचार नहीं है।” कई मुस्लिम विद्वान अब दाढ़ी को ज़रूरी नहीं समझते और अपनी दाढ़ी को शेव कर लेते हैं। मुसलमान चेहरे के बाल जैसे दाढ़ी, मूछों के बारे में पैगम्बर के विचारों से जानते है न कि कुरान से। सदियों पहले एक मुस्लिम विद्वान मुहम्मद अल-बुखारी द्वारा किए गए एक संग्रह में ऐसा एक हदीस कहता है, “मूंछों को छोटा करें और दाढ़ी छोड़ दें।” ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद दाढ़ी रखते थे और जो मुसलमान दाढ़ी रखते हैं वे तर्क देते हैं कि वे पैगंबर के कार्यों का अनुकरण कर रहे हैं। अब्देल हलीम, कई अन्य मुस्लिम विद्वानों के साथ, कहते हैं कि दाढ़ी एक व्यक्ति को अपनी मर्ज़ी से रखनी चाहिए न कि उसे इसके लिए बाध्य करना चाहिए। एक इस्लामी विद्वान और ब्रिटेन में ब्राइटन इस्लामी मिशन में स्थित मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन के संस्थापकों में से एक इमाम डॉ अब्दुलजलिल साजिद कहते हैं कि “मेरी राय में, यह महिलाओं के सर पर बंधने वाले रुमाल की तरह का मुद्दा है लेकिन दाढ़ी को इबादत या रोज़े की तरह इस्लाम के अनिवार्य स्तंभों में नहीं रखना चाहिए।”

अधिकांश इस्लामी विद्वान चाहव शिया हो या सुन्नी, दाढ़ी रखने के पीछे पैगंबर के अनुकरण का ही तर्क देते है। इमाम अब्दुलजलिल कहते हैं की मिस्र, जॉर्डन और तुर्की ऐसे मुस्लिम देश हैं जहां आपको बिना दाढ़ी के कई मुस्लिम विद्वान मिल जाएंगे। इमाम बताते हैं, “बिना दाढ़ी के रहना अब आधुनिकता का संकेत बन गया है।” “1960 और 1970 के दशक में, आपने देखा होगा कि अधिकतर मुस्लिम अपनी दाढ़ी को बढ़ा लेते थे।”

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इजरायल ने लेबनान पर किया हवाई हमला, दो हिजबुल्लाह लड़ाके ढेर, तीन नागरिक घायल

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नई दिल्ली। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान के कई गांवों पर हवाई हमले किए हैं, जिसमें दो हिजबुल्लाह लड़ाके मारे गए और तीन नागरिक जख्मी हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसराइल की फौज ने दो मिसाइलों से बॉर्डर इलाके के ऐता अल-शाब गांव में एक घर को नष्ट कर दिया। हमले में हिजबुल्लाह का एक लड़ाका मारा गया, जबकि दो नागरिक जख्मी हो गए हैं।

एक दूसरे इसराइली युद्धक विमान ने दक्षिणपूर्वी लेबनान के ब्लिडा गांव में एक दो मंजिला घर को निशाना बनाया। इस हमले में हिजबुल्लाह का एक दूसरे सदस्य मारा गया और एक नागरिक जख्मी हो गया।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इजरायली विमानों और ड्रोनों ने सीमा क्षेत्र के पूर्वी तथा मध्य हिस्सों में पांच कस्बों और गांवों पर सिलसिलेवार हवाई हमले किए, जिससे 17 घरों को नुकसान पहुंचा। इस बीच, हिजबुल्लाह ने पुष्टि की कि उसने कई इजरायली स्थलों पर हमला किया है।

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