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वो अटल के विरोध प्रदर्शन की ही राह थी, जिस पर चलकर एक बैलगाड़ी संसद तक जा पहुंची
नई दिल्ली। राजनीति से इतर अटल जी ने राष्ट्रधर्म (मासिक), पाञ्चजन्य (साप्ताहिक), स्वदेश (दैनिक) और वीर अर्जुन (दैनिक), पत्र-पत्रिकाओं के लिए संपादक की तरह भी काम किया। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई राजनेता या मंत्री अटल जी से मिलने आता था, तो वो उसे अपने हाथ से बनाया खाना ज़रूर खिलाते थे। अटल जी खाना पकाने और खाने के काफी शौकीन थे। अटल जी की खुरदुरी कविताएं भी समय-समय पर भारतीय सियासत और लोकतंत्र को आइना दिखाने का काम करती थी, वहीं ज़रूरत पड़ने पर सीमा पर खड़े जवानों का उत्साहवर्धन करती थी।
आज अटल जी हमारे बीच नहीं हैं। लखनऊ से अटल को खास लगाव था। वो लखनऊ ही है जहां से अटल जी लगातार पांच बार सांसद रहे। ऐसे में हर तरफ सिर्फ अटल से जुड़े किस्से सुनाए जा रहे हैं। ऐसे में एक किस्सा वो भी है जब अटल विरोध प्रदर्शन के लिए बैलगाड़ी से संसद तक जा पहुंचे थे।
साल था 1973 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष के सबसे बेहतरीन वक्ता के रूप में जाने जाते थे। नेहरु के दौर से ही उनकी ये छवि बनी थी। लेकिन ये दौर था उस समय की आयरन लेडी इंदिरा गाँधी का। उस समय पेट्रोल, डीज़ल के दाम आसमान छू रहे थे। आम जनता बहुत परेशान थी। अटल जी ने इसका विरोध बड़े ही नाटकीय ढंग से किया। वो पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन स्वरूप बैलगाड़ी से संसद तक पहुंचे और अपना विरोध जताया।
तेल संकट के दौरान तेल बेचने वाले मध्य-पूर्व देशों ने भारत को कच्चा तेल भेजना कम कर दिया था, इस वजह से इंदिरा गांधी की सरकार ने तेल की कीमतों में 80 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी कर दी थी। इस वजह से वह अटल समेत दूसरे नेताओं के निशाने पर आ गई थीं। बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं। ‘आज की खबर’ भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि अर्पित करता है।
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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।
केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।
याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
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