Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शनार्थ वारुणी यात्रा

Published

on

Loading

 

 

Rafting in Ganga Rishikesh

उत्तरकाशी। वारुणी पंचकोसी यात्रा गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 5 अप्रैल को शुरू हो रही है। इसे लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह बना हुआ है और लोग यात्रा की तैयारी में जुटे हुये हैं। उत्तरकाशी जनपद में गंगोत्री और यमुनोत्री दो प्रसिद्ध धामों के होने से यह जनपद जिले में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी अपनी विशेष धार्मिक पहचान बनाये हुये है। लेकिन उत्तरकाशी वारुणी पंचकोसी एक ऐसी यात्रा के लिये भी विख्यात है, जिसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को एक साथ 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन होने से अश्वमेघ यज्ञ का फल तक प्राप्त हो जाता है। वारुणी पंचकोसी यात्रा का विशेष धार्मिक एवं पौराणिक महत्व है। यह यात्रा 15 किमी पैदल चलकर वरुणावत पर्वत की परिक्रमा कर पूरी होती है। वारुणी पंचकोसी यात्रा कर वर्षभर में यूं तो हर दिन विशेष महात्म्य है, लेकिन स्कंद पुराण में आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन वरुणागंग संगम बड़ेथी और अस्सी गंगा के गंगोरी स्थित संगम पर स्नान करने से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को विशेष फल प्राप्त होने का जिक्र है।

वारुणी यात्रा करने से अश्वमेघ फल की भी हो जाती है प्राप्ति

वारुणी पंचकोसी यात्रा चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन हर वर्ष होती है। स्कंद पुराण के अनुसार इस यात्रा को पवित्र और सच्चे मन से करने वाले श्रद्धालुओं की इच्छित मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है। धार्मिक ग्रथों में मान्यता है कि 33 करोड़ देवी देवता इस वरुणावत भू-भाग में निवास करते है। यात्रा मार्ग पर व्यासकुंड गोतम गंगा, तपलिनी ऋषि की गुफा और कई दैवीय स्थल विराजमान हंै। मान्यता है कि इस यात्रा के दौरान जो भी श्रद्धालु वरुणावत नामक शैल शिखर पर चलता है, उसे कदम-कदम पर स्वतः ही अश्वमेघ यज्ञ का फल मिल जाता है। इसके साथ ही पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

पंचकोसी यात्रा में शामिल होने के लिये श्रद्धालु प्रातः मणिकर्णिकाघाट और त्रिवेणी संगम ज्ञानसू में स्नान कर गंगाजल व पूजा सामग्री लेकर निकलते हैं और सर्व प्रथम बड़ेथी चुंगी स्थित मंदिर में जलाभिषेक कर सीढ़ीनुमा रास्तों से होते हुए बंसुगा के ज्ञानमंदिर पंहुचते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद प्राकृतिक छटाओं से अभीभूत होकर गमदिड़गांव स्थित जगन्नाथ मंदिर में पंहुचते हंै। जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में होना बताया जाता है, जिसका जीर्णोद्वार स्थानीय ग्रामीणों ने वर्ष 1996-97 में कर इसे भव्य रूप प्रदान किया। यात्रा के समय ग्रागीण श्रद्धालुओं के लिये मंदिर प्रांगण में जलपान की व्यवस्था किये हुये मुस्तैद रहते हैं। इसके बाद साल्ड में अष्टभुज माता दुर्गा के मंदिर में जलाभिषेक कर ज्ञाणजागांव के ज्ञानेश्वर महाराज मंदिर के दर्शन कर आगे बढ़ते है। व्यास कुंड में पंहुचने पर कुंड से पानी लेकर यात्री अपनी प्यास बुझाते हंै और वरुणावत के शिखर पर स्थित यात्रा पड़ाव पर पंहुचते हंै। यहां शिखरेश्वर, विमलेश्वर महादेव के दर्शन करने से यात्रियों में नये उत्साह का संचार हो जाता है।

यात्रा मार्ग की खड़ी चढ़ाई के समाप्त होने पर यात्री नीचे की ओर संग्राली स्थित कंडार देवता मंदिर के दर्शन व जलाभिषेक करने के बाद गंगोरी स्थित अस्सी गंाग के संगम पर स्नान कर पुण्य अर्जित कर काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक व दर्शन कर यात्रा का समापन करते हैं। यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग ओर विभिन्न पड़ाव स्थलों पर पड़ने वाले मंदिरों में श्रद्धालु फल, फूल, धूप, दीप, गंगाजल, मिष्ठान, टीका चावल, श्रीफल, लाल, पीला कपड़ा व श्रद्धा के अनुसार पैसे चढ़ावे के रूप में अर्पित करते हंै। उत्तरकाशी में होने वाली वारुणी पंचकोसी यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है और यात्रा में शामिल होने के लिये हर वर्ष हजारों की संख्या में दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पंहुचकर पुण्य के भागीदारी बनकर जहंा पापों से मुक्ति पाते हंै, वहीं कुशल क्षेम के साथ ही 33 करोड़ देवी देवताओं का एक साथ दर्शन कर धन्य हो जाते हैं। यात्रा को देखते हुये स्थानीय स्तर पर लोगों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और वह यात्रियों को सभी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये तत्परता से काम पर जुट गये है।

 

 

उत्तराखंड

10 मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, पहले ही दिन हुए 2 लाख से ज्यादा पंजीकरण

Published

on

Loading

नई दिल्ली। इस बार 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। इसके लिए सोमवार से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले ही दिन चार धाम के लिए दो लाख से अधिक पंजीकरण हो गए हैं। सबसे अधिक 69 हजार पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं।

रजिस्ट्रेशन की सुविधा मोबाइल ऐप, वॉट्सऐप और टोल फ्री नंबर पर भी है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से 25 दिन पहले यात्रियों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जा रही है, जिससे प्रदेश के बाहर से आने वाले यात्री अपना प्लान बनाकर आसानी से रजिस्ट्रेशन कर सकें।

रजिस्ट्रेशन के लिए नाम, मोबाइल नंबर के साथ यात्रा करने वाले सदस्यों का ब्योरा, निवास स्थान के पते के लिए आईडी देनी होगी। पर्यटन विभाग की वेबसाइट रजिस्ट्रेशन एंड टूरिस्ट केअर डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन पर लॉगिन कर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। इसके अलावा वॉट्सऐप नंबर-8394833833 पर यात्रा लिखकर मैसेज करके भी पंजीकरण कर सकते हैं। पर्यटन विभाग ने टोल फ्री नंबर-0135-1364 पर कॉल करके पंजीकरण की सुविधा दी है। स्मार्ट फोन पर टूरिस्टकेअरउत्तराखंड मोबाइल ऐप से भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

Continue Reading

Trending