आध्यात्म
राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होंगे उत्तराखंड के सतपाल महाराज
देश के प्रमुख संत-महात्माओं सहित 5 अगस्त को राष्ट्रसंत सतपाल महाराज भी राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होंगे।
राष्ट्रसंत सतपाल महाराज ने कहा है कि भगवान राम हमारे सैनिकों और कोरोनावरियर्स को सशक्त बनाये ताकि वह आंतरिक और बाह्य रूप से देश की रक्षा कर सकें।
श्री राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन समारोह मुहूर्त की चर्चा को लेकर सतपाल महाराज ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “मंगल भवन अमंगल हारी” सारे अमंगलों को दूर करने वाले प्रभु श्रीराम हैं। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण हेतु जिस मुहूर्त में भूमि पूजन के समय का निर्धारण किया गया है वह अभिजीत मुहूर्त है। भगवान श्रीराम का जन्म भी अभिजीत मुहूर्त में हुआ था इसलिए यह समय शुभ फलदायक “सर्वार्थ सिद्धि योग” का समय है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में किए जाने वाले सभी शुभ कार्य सफल होते हैं। इसीलिए श्री राम मंदिर निर्माण हेतु होने वाले भूमि पूजन का समय अभिजीत मुहूर्त में निर्धारित किया गया है। सतपाल महाराज ने कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि हमारा देश विश्व गुरु बने और अनंतकाल के लिए हमारे देश की गौरव गाथा गाई जाती रहे।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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