प्रादेशिक
कोरोना: यूपी में शादी व अन्य समारोहों में 100 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक
लखनऊ। यूपी में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ने लग गए हैं। ऐसे में योगी सरकार ने यूपी में शादियों और अन्य सामाजिक समारोहों में 100 मेहमानों की सीमा को फिर से लागू करने का फैसला किया है। अबतक 200 लोग ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते थे।
राज्य सरकार ने 15 अक्टूबर को उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ शादी व अन्य समारोहों में 200 मेहमानों के शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन हाल-फिलहाल के त्योहारी सीजन के बाद Covid के मामलों में फिर से वृद्धि हुई है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार मामलों को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है।
सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, मुख्यमंत्री ने शनिवार रात को सभी जिलाधिकारियों को शादी व अन्य कार्यक्रमों में 100 मेहमानों के प्रवेश सीमा को सुनिश्चित करने के लिए कहा। राज्य का गृह विभाग रविवार को इस संबंध में एक औपचारिक आदेश जारी करेगा।
गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में पहले ही आदेश जारी कर दिया है। वहीं राज्य सरकार ने दिल्ली में बढ़ते मामलों को देखते हुए उप्र-दिल्ली सीमा पर रैंडम टेस्ट करना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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