आध्यात्म
सावधान! इस रविवार आपके साथ कुछ बुरा हो सकता है, देखें अपना राशिफल
Aries : मानसिक तनाव रहेगा। व्यर्थ के विवाद एवं झगड़ों से बचने का प्रयास करें।
Taurus : आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कला एवं संगीत के प्रति रुझान रहेगा। स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।
Gemini : आत्मविश्वास से परिपूर्ण तो रहेगें, परन्तु धैर्यशीलता में कमी भी आयेगी।
Cancer : मन में निराशा एवं असन्तोष के भाव रहेंगे। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी।
Leo : क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव मन में रहेंगे। खर्चों की अधिकता रहेगी।
Virgo : क्रोध के अतिरेक से बचें। पिता से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
Libra : क्रोध की अधिकता रहेगी। परिवार की समस्या परेशान करेंगी।
Scorpio : शैक्षिक कार्यों में विफलता मिलेगी। वाहन सुख में वृद्धि के योग बन रहे हैं। माता से धन की प्राप्ति हो सकती है।
Sagittarius : क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव मन में रहेंगे। घर-परिवार में धार्मिक-मांगलिक कार्य हो सकते हैं। वस्त्रों पर खर्च बढ़ेंगे।
Capricorn : मन में निराशा एवं असन्तोष के भाव रहेंगे। नौकरी में स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं।
Aquarius : क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव मन में रहेंगे। बातचीत में संयत रहें। किसी मित्र के सहयोग से आय वृद्धि के स्रोत विकसित हो सकते हैं।
Pisces : आत्मसंयत रहें। परिवार में आपसी वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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