नेशनल
सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा कोरोना, 50 फीसदी कर्मचारी कोविड पॉज़िटिव
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट तक कोरोना वायरस का कहर पहुँच गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में कई कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।
50 फीसदी से अधिक कर्मचारियों के पॉजिटिव होने के बाद अब जजों ने फैसला लिया है कि वे अपने-अपने घरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुननाई करेंगे। संक्रमित पाए गए कर्मियों में से कई लोग जजों के दफ्तर से जुड़े हैं।
बता दें कि सोमवार को देश में रिकॉर्ड एक लाख 70 हजार से ज्यादा नए कोरोना मरीज मिले हैं, जोकि महामारी के दस्तक देने से लेकर एक दिन में मिले मरीजों की सर्वाधिक संख्या है। मौतों का आंकड़ा भी लगातार डरा रहा है। अकेले सोमवार को ही कोरोना से देशभर में नौ सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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