आध्यात्म
अगर हाथों में है ये रेखा तो पत्नी रखेगी आपका बहुत ख्याल
नई दिल्ली। हाथों की रेखा के इंसान के जीवन में आगे क्या होने वाला है इसकी ओर संकेत करती है। भारत में हस्तरेखा विज्ञान में बहुत से लोगों को रुचि होती है। इसमें विवाह रेखा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के बारे मे बताती है। विवाह रेखा का उद्भव और उसके आगे बढ़ने की स्थिति व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में बारे में बहुत कुछ संकेत देती है।
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि किसी शख्स के बाएं हाथ में दो विवाह रेखा हैं और दाएं में एक तो ऐसे लोगों को गुणवान और अच्छी पत्नी मिलती है। ऐसे लोगों की पत्नी अपने पति से बहुत प्यार करती हैं और उनका पूरा ख्याल रखती हैं।
लेकिन अगर इसके उलट दाएं हाथ में विवाह रेखा की संख्या दो हो और बाएं में एक तो पत्नी अपने पति का ध्यान नहीं रखती। यदि दोनों हाथों में विवाह रेखा की लंबाई समान और समान शुभ लक्षण वाली हो तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखी होता है। जिन लोगो के हाथों में यह संयोग होता है उनका अपनी जीवनसाथी से बहुत ही अच्छा तालमेल होता है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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