Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

स्वतंत्रता दिवस 2020 : आखिरी क्यों लाल किले पर ही पीएम फहराते हैं तिरंगा ?

Published

on

Loading

15 अगस्त के दिन गली नुक्कड़ और चौराहों पर देशभक्ति गीतों की स्वर लहरियां बह रही हैं। आज़ादी के इस पर्व में प्रत्येक भारत वासी शरीक होता है और अपने अपने अंदाज में इस दिन को जीता है।

साभार – INTERNET

आज़ादी से लेकर आज के दिन तक स्वतन्त्रता दिवस पर दिल्ली के लालकिले पर प्रधानमंत्री द्वारा तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन आपके मन मे एक प्रश्न जरूर उठता होगा कि तिरंगा फहराने के लिए आखिर लालकिला ही क्यों? अन्य ऐतिहासिक महत्व की इमारतें भी हैं जहाँ हमारा प्यारा तिरंगा लहरा सकता है। आइये आपको हम लालकिला के इतिहास के बारे में पूरे विस्तार से बताते हैं।

ये तो सभी को पता हैं कि लाल किले का रंग लाल हैं। इसलिए उसका नाम भी लाल किला पड़ गया, लेकिन आपको बता दें एक समय ऐसा भी था जब लाल किले का रंग सफ़ेद हुआ करता था। शुरू में इसे चूने के पत्थरों से बनाया गया था लेकिन अंग्रेजो के शासनकाल में लाल किला अपनी चमक होने लगा था और इसलिए इस पर लाल रंग पुतवा दिया था।

 

साभार – INTERNET

10 मई 1857 को मेरठ में क्रांति की शुरुआत हुईं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों ने अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ़ खुला विद्रोह किया था। 1857 में हुई क्रांति के दौरान अंग्रेजो ने अपना गुस्सा निकालने के लिए लाल किले के कई हिस्सों को तबाह कर दिया था और कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन पंहुचा दिया था।

जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। तब 15 अगस्त 1947 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने सबसे पहले लाल किले पर ही आजादी का ऐलान किया था। इसके बाद से ही लाल किला भारतीय सेना का गढ़ बन गया और 22 दिसंबर 2003 को इस इमारत को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया था।

#pmmodi #independenceday #narendramodi #newdelhi

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

Published

on

Loading

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

Continue Reading

Trending