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प्रादेशिक

अब लालू के दिल व गुर्दे का इलाज एम्स में नहीं रिम्स में होगा

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद को मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के एम्स से छुट्टी दिए जाने के बाद यहां के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में स्थानांतरित कर दिया गया। राजद प्रमुख का एम्स में दिल व गुर्दे से जुड़ी बीमारियों का इलाज चल रहा था।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राजधानी एक्सप्रेस से रांची पहुंचे। उन्हें एंबुलेंस में रिम्स ले जाया गया और कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया है।

बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल के एक अधिकारी ने कहा, हम रिम्स से चिकित्सकीय रिपोर्ट मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इसके आधार पर हम लालू प्रसाद को जेल ले जाने का फैसला करेंगे।

लालू प्रसाद यादव को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद एम्स से स्थानांतरित किया गया। रांची मेडिकल कॉलेज व अस्पताल स्थानांतरित करने पर नाराज लालू प्रसाद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चिकित्सकों से कहा, राजनीतिक दबाव के तहत उनके जीवन को खतरे में नहीं डाल जाए।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया को लिखे एक पत्र में कहा है, “अगर मुझे एम्स से रांची मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है तो मेरे जीवन को किसी प्रकार की हानि होने पर पूरी जिम्मेदारी आप सभी की होगी।”

लालू प्रसाद को एम्स में 29 मार्च को भर्ती कराया गया था। एम्स के छह चिकित्सकों का एक दल उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है। इसमें शल्य चिकित्सा, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी व न्यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक शामिल हैं।

लालू प्रसाद को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत के बाद 17 मार्च को रिम्स में भर्ती कराया गया था। वह बिरसा मुंडा जेल में चारा घोटाले से जुड़े मामले में 23 दिसंबर 2017 से जेल की सजा काट रहे हैं। हाल ही में उन्हें दुमका कोषागार मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 14 साल जेल की सजा सुनाई।

इनपुट आईएएनएस

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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