नेशनल
राज्य सभा सचिवालय के अधिकारी पाए गए कोरोना संक्रमित, ऑफिस सील
नई दिल्ली। कोरोना वायरस देश में तेजी से अपने पांव पसार रहा है। भारत में अब यह वायरस हर रोज लगभग 7 हजार लोगों को अपना शिकार बना रहा है।
इस खतरनाक बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तो अब हर दिन हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस सामने आ रहे हैं।
अब इस वायरस ने संसद परिसर में भी दस्तक दे दी है। राज्यसभा सचिवालय में डायरेक्टर लेवल पर कार्यरत एक अधिकारी की कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद संसद भवन स्थित उनके द़फ्तर को सील कर दिया है। बताया जा रहा है कि अधिकारी की पत्नी और बच्चे भी कोरोना की चपेट में आ गए हैं।
उनका द़फ्तर संसद भवन एनेक्सी के पहले तल पर रूम नंबर 120 में है। अधिकारी 28 मई को ऑफिस आए थे। पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस ने उनके द़फ्तर को सेनिटाइज कर सील कर दिया।
पहले तल के सभी गेट, वॉशरूम आदि को सेनेटाइज किया गया है। राज्यसभा सचिवालय ने उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सजग रहने के लिए कहा है, जो अधिकारी के संपर्क में आ चुके हैं। संपर्क में आने वाले लोग अब एहतियातन कोविड-19 टेस्टिंग कराने की तैयारी में हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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