आध्यात्म
‘राधे राधे’ के जयकारों से गूंज उठा जेकेपी का प्रेम मंदिर, प्रगट हुए कन्हैया
वृंदावन। भगवान कृष्ण और राधारानी के आध्यात्म प्रेम को दर्शाने वाले और भव्यता के प्रतीक प्रेम मंदिर में जन्माष्टमी समारोह धूमधाम के साथ मनाया गया। बड़ी संख्या में भक्त राधे-राधे और श्यामा श्याम के जयकारों के बीच अपने आराध्य भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मग्न हो गए।
वृंदावन के प्रेम मंदिर में जन्माष्टमी के भोर से ही हजारों की संख्या में भक्त अपने आराध्य राधाकृष्ण के दर्शन के लिए जुटने लगे। मंदिर भजन संकीर्तन की धुनी से गुजायमान हो उठा। सुगंधित एवं आकर्षक देशीविदेशी पुष्पों और लतापताओं से सुसज्जित मंदिर में जगह-जगह बाल गोपाल की झाकियां लगी थी।
शाम को साढे चार बजे प्रभु राधाकृष्ण के आरती दर्शन के बाद मध्य रात्रि 12 बजे प्रभु कृष्ण का जन्म हुआ। मंदिर में चारों ओर ढोल-नगाड़े, शंखनाद की ध्वनि गूंजने लगी। भक्त अपने आराध्य के जन्म की खुशी में झूमने लगे। रात साढ़े 12 बजे बाल गोपाल का दूध, दही, घी, शहद और यमुना जल से महाभिषेक हुआ।
अभिषेक के बाद प्रभु कृष्ण के पट श्रृंगार के लिए बंद हुए। पौने एक बजे वेद मंत्रोच्चारों और स्तुति गान के मध्य प्रभु के पट खुले। भक्तों में प्रभु की एक झलक पाने के लिए होड़ सी मच गई। एक बार फिर नंद घर आनंद गए जय कन्हैया लाल की के बोल से मंदिर गुंजायमान हो गया।
कन्हैया का माखन मिश्री का भोग लगाया गया। भोग के साथ आरती यशुमत शिशु की कीजे… हुई। इसके पश्चात भक्तजन नाच गा कर जन्मदिन की बधाईयां एक दूसरे को देने लगे। वहीं जगदगुरु कृपालु महाराज के वीडियो भक्तों को दिखाए गए, जिसमें महाराजश्री ने प्रभु कृष्ण के जन्मोत्सव के महत्व भक्तों को बताया।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
-
मुख्य समाचार3 days ago
गर्मियों में बिना नींबू के बनाएं ये 5 रिफ्रेशिंग ड्रिंक्स, होती हैं बेहद टेस्टी
-
आध्यात्म2 days ago
आज होगी मां दुर्गा के अष्टम रूवरूप महागौरी की पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ख्याल, मिलेगी विशेष कृपा
-
आध्यात्म3 days ago
नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानिए मां कैसे होंगी प्रसन्न
-
नेशनल3 days ago
कन्हैया को प्रत्याशी बनाए जाने पर मनोज तिवारी ने उठाए ‘आप’ और कांग्रेस पर सवाल, कही ये बात
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
सरबजीत सिंह के हत्यारे की लाहौर में हत्या, अज्ञात हमलावरों ने घर में घुसकर मारी गोली
-
उत्तर प्रदेश3 days ago
यूपी में मां-बेटियों से छेड़छाड़ करने वालों को उल्टा लटका दिया जाता है, औरंगाबाद की जनसभा में बोले सीएम योगी
-
नेशनल3 days ago
केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इंकार
-
नेशनल3 days ago
भगवंत मान ने तिहाड़ में अरविंद केजरीवाल से की मुलाकात, कहा- उनके साथ आतंकियों जैसा व्यवहार हो रहा