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प्रादेशिक

प्रतापगढ़ में लोगों ने बनाया कोरोना माता मंदिर, प्रशासन ने हटाया

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लखनऊ। यूपी के प्रतापगढ़ में बने कोरोना माता के मंदिर में प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया है। यही नहीं पुलिस कोरोना माता मंदिर बनाने वाले शख्स को पूछताछ के लिए ले गई है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के सांगीपुर थाना इलाके के जूही शुकुलापुर गांव में कोरोना माता मंदिर बनाया गया था। पूरे रस्मोरिवाज से यहां कोरोना माता की पूजा की जा रही थी। हालांकि पुलिस प्रशासन को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई उन्होंने मंदिर पर बुलडोजर चलवा दिया।

आईजी केपी सिंह के मुताबिक, अंधविश्वासी गतिविधियों से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने गांव से ‘कोरोना माता’ मंदिर को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस दल भी कोविड-19 के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, उनका दावा है कि यह एक घातक वायरस है और उन्हें इस तरह की अंधविश्वासी चीजों में खुद को शामिल नहीं करना चाहिए। आईजी ने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं क्योंकि गांव के एक व्यक्ति नागेश कुमार श्रीवास्तव ने संगीपुर थाने में एक आवेदन जमा कर दावा किया है कि गाजियाबाद में रहने वाले उनके भाई लोकेश कुमार ने कोरोना माता की स्थापना की थी।

पुलिस ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले के शुकुलापुर गांव में तीन दिन पहले कोरोना माता मंदिर बना था और सैकड़ों ग्रामीणों ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी। मंदिर वास्तव में चंदा इकट्ठा करने के बाद ग्रामीणों के एक समूह द्वारा बनाया गया था। ग्रामीणों ने कोरोना माता से प्रार्थना करना शुरू कर दिया कि कोविड -19 की छाया कभी शुकुलापुर और आसपास के गांवों पर न पड़े। इतना ही नहीं, उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना करते समय मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड-19 प्रोटोकॉल के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

मूर्ति ने भी नकाब पहना था। नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले ग्रामीणों ने दावा किया, कोरोना वायरस महामारी और इसके घातक प्रभाव को देखने के बाद, जिसने हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली, हमने पूरे विश्वास के साथ एक नीम के पेड़ के नीचे कोरोना माता मंदिर स्थापित करने का फैसला किया। देवता निश्चित रूप से लोगों को घातक बीमारी से राहत देंगे।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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