प्रादेशिक
रायबरेली: पॉक्सो कोर्ट ने मासूम की रेप के बाद हत्या के दोषी को दी फांसी की सजा
रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में डेढ़ साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। दरिंदे ने बच्ची से रेप के बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी थी और शव को गांव के पास एक ट्यूबवेल के बगल में बने गड्ढे में छिपा दिया था। घटना एक तिलक समारोह के दौरान हुई थी जिसमे बच्ची भी गई थी।
रात में जब काफी देर तक बच्ची का पता नहीं चला तो उसके पिता ने पुलिस को इस बात की जानकारी दी। बाद में पुलिस ने एक गड्ढे से बच्ची का शव बरामद किया। मासूम के शव का पोस्टमार्टम हुआ तो दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई। जिसके बाद पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
जिला एवं सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (पाक्सो कानून) ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने अभियुक्त को कुल दो लाख बीस हजार रुपये के अर्थदंड के साथ मृत्युदंड की सजा सुनायी। अदालत ने जुर्माने की आधी रकम एक लाख 10 हजार रुपये पीड़िता के पिता को देने का आदेश दिया है।
सरकारी अधिवक्ता के मुताबिक, दो मई 2014 को डेढ़ वर्ष की मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। इस सिलसिले में रायबरेली जिले के सलोन थाने में अगले दिन मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसके बाद पुलिस ने बच्ची के शव को बरामद करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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