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आध्यात्म

नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इस मंत्र का जाप, हर मनोकामना होगी पूरी

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लखनऊ। शक्ति उपासना का पर्व नवरात्र आज से शुरू चुका है। आज से नौ दिन तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए नौ दिनों तक पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर विजयादशमी की पहली नवमी तक चलती है। इस पर्व की शुरुआत शारदीय नवरात्रि से होती है और दसवें दिन यानी कि विजयादशमी पर इसका समापन होता है।

एस्ट्रोलॉजर सरिता गुप्ता के मुताबिक, नवरात्रि में नवार्ण मंत्र का जाप किया जाए तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होगी। नवार्ण मंत्र मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली मंत्र है, जिसका जाप करने से हर बिगड़ा हुआ काम बन जाएगा और आपको सफलता मिलेगी। नवार्ण मंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने और मां दुर्गा के तीनों रूपों की एक साथ साधना का प्रभाव समाहित है। इसलिए इसे सबसे शक्तिशाली महामंत्र कहा गया है। इस मंत्र का जाप करने से मां भगवती का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

नवार्ण मंत्र:

नवार्ण मंत्र- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ की शक्ति अपार है। इसमें मां जगदम्बा की शक्ति समाई हुई है। इसका अनुष्ठान करने वाले साधक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह सरल है और शीघ्र सिद्ध होता है। इस मंत्र में ‘ऐं’ मां सरस्वती का, ‘ह्रीं’ मां लक्ष्मी या भुवनेश्वरी का तथा ‘क्लीं’ मां काली का प्रतीक है। इन बीज मंत्रों में इन देवियों की शक्तियां समाई हैं। नवार्ण मंत्र की साधना धन-धान्य, सुख-समृद्धि आदि सहित सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। अनुष्ठान यदि बिना विशेष कामना के भी किया जाय तो मां दुर्गा साधक को सभी सुख स्वत: प्रदान कर देती हैं। यदि इसकी मौन एवं दीर्घकालिक साधना की जाय तो वाक्सिद्धि प्राप्त होती है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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