आध्यात्म
मकर संक्रांति के दिन भूल से भी न करें ये काम, वरना नहीं आएगी भगवान की कृपा
नई दिल्ली।आज पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व जितना पवित्र होता है उससे कहीं ज्यादा आस्था और उल्लास का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में अगर आप चाहते है कि आपसे कोई चूक न हो, तो ये 5 काम भूल से भी भूलकर न करें।
1. मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह के नशे के सेवन से बचना चाहिए। इस दिन आप भूलकर भी शराब, सिगरेट, गुटका आदि किसी भी तरह के नशे का सेवन ना करें। अगर आप ये काम नहीं करते हैं तो भगवान की कृपा आएगी।
2. मकर संक्रांति के दिन कभी भी किसी भिखारी, साधु या बुजुर्ग या किसी अन्य याचक को घर से खाली हाथ ना जाने दें। अगर आप इस दिन किसी गरीब को खाना खिलाते हैं तो भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी।
3. मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए। इस दिन अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और दूसरों से मधुर बोल ही बोलने चाहिए।
4. मान्यता है कि इस दिन चाहे घर के अंदर हो या बाहर पेड़ों की कटाई या छंटाई नहीं करनी चाहिए। इसके लिए आप कोई भी और दिन चुन सकते हैं।
5 . अगर आप सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं तो शाम के समय यानी सूरज ढलने के बाद इस दिन भोजन ना करें।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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