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नेशनल

महागठबंधन में हो गया सीटों का बंटवारा, अब एकजुट होकर बीजेपी से लड़ने की है तैयारी!

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लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अब एक साल से कम का समय बचा रह गया है ऐसे में विपक्षी दल उपचुनाव में मिली जबरदस्त सफलता के बाद एकजुट होकर बीजेपी को हराने की योजना तैयार कर रहे हैं। यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है।

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जहां एक ओर महागठबंधन तैयार हो रहा है वहीं बीजेपी भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जोर-शोर से तैयारी कर रही है। खबर है कि बीजेपी को हराने में कोई पेंच न फंसे इसके लिए महागठबंधन में सीटों को लेकर अभी से खाका तैयार किया जा रहा है।

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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पहले ही सीटों को लेकर बसपा के आगे झुकने का इशारा दे दिया है, हालांकि कांग्रेस के अभी महागठबंधन में शामिल होने को लेकर सस्पेंस है ।

निषाद पार्टी ने भी सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, पीस पार्टी का रूख साफ नहीं है। कहा यह भी जा रहा है कि पूर्वांचल में महागठबंधन के सीटों को लेकर भी लगभग सहमति बन चुकी है।

बसपा के हिस्से की सीट

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बसपा को पूर्वांचल में महाराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती, देवरिया, घोसी और डुमरियागंज सीट मिल सकती है। महाराजगंज सीट से गणेश शंकर पांडेय को टिकट मिलना तय है, वहीं देवरिया से बसपा के जीएम सिंह को चुनाव लड़ाने की चर्चा है। वहीं डुमरियागंज सीट से बसपा आफताब आलम को अपना उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है।

सपा के हिस्से की सीट

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हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा के हिस्से गोरखपुर और फूलपूर सीट मिलनी तय है। इसके अलावा बांसगांव, सलेमपुर, बलिया, आजमगढ़ और भदोही सीट सपा के हिस्से में आ सकती है। सपा के हिस्से वाली सीट से ही निषाद पार्टी को एक या दो सीटों पर चुनाव लड़ाया जा सकता है।

कांग्रेस के हिस्से की सीट

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महागठबंधन में कांग्रेस अगर शामिल होती है, तो उसे वाराणसी की सीट मिलनी तय है। इसके अलावा कुशीनगर सीट भी कांग्रेस को दी जा सकती है। कुशीनगर से कांग्रेस के पूर्व गृह राज्य मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह का टिकट लगभग तय है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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