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प्रादेशिक

मध्य प्रदेश: विभागों का हुआ बंटवारा, नरोत्तम मिश्रा को मिला स्वास्थ्य मंत्रालय

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भोपाल। मध्य प्रदेश में मंगलवार को शिवराज सरकार की कैबिनेट के विस्तार के बाद बुधवार को सभी मंत्रियों को उनके विभाग सौंप दिए गए।

इस बारे में शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को गृह और स्वास्थ्य, तुलसी राम सिलावट को जल संसाधन, कमल पटेल को कृषि एवं किसान कल्याण, गोविंद सिंह राजपूत को सहकारिता एवं नागरिक आपूर्ति और मीना सिंह को आदिम जाति कल्याण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

चौहान ने स्पष्ट किया है कि अभी विभागों का जो बंटवारा किया है, वह कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया है। कोरोना को नियंत्रित करने के लिए जितने विभाग जरूरी थे, फिलहाल उन्हीं का प्रमुखता से बंटवारा किया है।

चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा कि लॉकडाउन खत्म होते ही मंत्रिमंडल का जल्द विस्तार किया जाएगा। उस समय संपूर्णता से विचार करके फिर विभागों का वितरण होगा।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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