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लॉकडाउन: शख्स ने लगाया दिमाग, 25 टन प्याज़ खरीदकर मुंबई से पहुंचा यूपी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से इस समय पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा है। ऐसे में लाखों लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं और घर आने के लिए परेशान हैं।
कुछ लोग हिम्मत जुटा कर पैदल अपने प्रदेश की ओर निकल तो जा रहे हैं लेकिन राज्य की सीमा पर उन्हें रोक लिया जा रहा है। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने बॉर्डर पर रोके जाने से बचने साढ़े तीन लाख रुपए की प्याज खरीद ली और महाराष्ट्र से अपने घर प्रयागराज के लिए निकल पड़ा।
शख्स का नाम प्रेम मूर्ति पांडेय है। जिसने पहले 25 टन प्याज खरीदी और फिर उसने प्याजों को एक ट्रक में भरीं और व्यापारी बन मुंबई से प्रयागराज पहुंच गया। प्रेम मूर्ति पांडेय ने ऐसा सिर्फ अपने गांव पहुंचने के लिए किया।
प्रेम मूर्ति पांडे मुंबई एयरपोर्ट पर काम करते हैं. पांडे प्रयागराज स्थित अपने पैतृक गांव जाना चाहते थे, पर लॉकडाउन के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था।
पीटीआई को प्रेम मूर्ति ने बताया कि वो अंधेरी ईस्ट के इलाके अजाद नगर में जहां रहते हैं, वह बहुत ही कंजेस्टेड एरिया है और वहां कोरोनावायरस फैलने का बहुत बड़ा रिस्क है।
प्रयागराज के थाना धूमनगंज से महज 3 किलोमीटर दूर मुबारकपुर कोटवा के रहने वाले प्रेम मूर्ती पांडे ने 25 टन प्याज खरीदी, जिसकी कीमत लगभग 3 लाख 50 हजार के करीब बताई जा रही है। इसके बाद वह व्यापारी बनकर मुंबई से 17 अप्रैल को ट्रक के जरिये सीधे प्रयागराज के नवींन मंडी मुंडेरा आ गए।
मंडी में अच्छे दाम न मिलने से और लगभग 35 हजार कम मिलने से वो सीधे अपने गांव कोटवा प्याज लेकर चले गए। प्रेम मूर्ति के घर आने पर गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है, लेकिन गांव के लोग प्रशासन को सूचना भी नहीं दे रहें हैं।
वहीं प्रेम मूर्ति का कहना है कि घर पर बूढ़े मां-बाप हैं, उनकी सेवा करने के लिए कोई नहीं है, इसीलिए उन्होंने यह रास्ता अपनाया। सबसे पहले प्रेम मूर्ति ने मुंबई में भारी मात्रा में तरबूज खरीद के वहां बेचा ताकि लोगों को शक ना हो कि वो व्यापारी नहीं है। इसके बाद वो प्याज लादकर सीधे प्रयागराज पहुंच गए।
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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।
केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।
याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
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