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नेशनल

बड़ा फैसलाः देश में 31 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन, थोड़ी देर में गाइडलाइन होगी जारी

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने लॉकडाउन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने का फैसला किया है।

इससे पहले महाराष्ट्र और पंजाब ने लॉकडाउन 31 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की थी। लॉकडाउन 4.0 कैसा होगा इसको लेकर केंद्र सरकार थोड़ी ही देर में गाइडलाइन जारी करेगी।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की थी। तब ये लॉकडाउन 21 दिनों के लिए था। इसके बाद लॉकडाउन 2 की घोषणा की गई. इसकी मियाद 3 मई तक थी। इसके बाद फिर लॉकडाउन को 2 हफ्ते के लिए बढ़ा दिया गया. अब आज लॉकडाउन-3 की आखिरी तारीख है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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