आध्यात्म
VIDEO : हिमाचल प्रदेश में शुरू हुआ कुल्लू दशहरा उत्सव
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में भगवान रघुनाथ की ‘रथ यात्रा’ (रथ जुलूस) के साथ सप्ताह भर चलने वाला कुल्लू दशहरा उत्सव कल से शुरू हो गया है ।
आप भी देखें इस भव्य रथ यात्रा की झलक —
#WATCH Week-long Kullu Dussehra celebrations began yesterday with Lord Raghunath’s 'rath yatra' (chariot procession) in Himachal Pradesh's Kullu. pic.twitter.com/Y1VuIW0XA8
— ANI (@ANI) October 25, 2020
इससे पहले रविवार दोपहर दो बजे पालकी में सवार होकर भगवान रघुनाथ ढोल-नगाड़ों की थाप पर पुलिस के कड़े पहरे के साथ मैदान में आए। दोपहर बाद शाम करीब चार बजे माता भुवनेश्वरी भेखली और माता जगन्नाथी भुवनेश्वरी का इशारा मिलते ही रथयात्रा शुरू हो गई, साथ ही यात्रा में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सभी कारकून और देवलु मास्क पहनकर आए।
#kullu #LordRaghunath #rathyatra #HimachalPradesh
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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