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‘बस दो-तीन अच्छे ओवर और हम हर हाल में खेलेंगे आईपीएल 2018 फाइनल’

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कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में आज कोलकाता नाइट राइडर्स और सनराइजर्स हैदराबाद की टीेमें आमने सामने होंगी। आईपीएल 2018 का फाइनल मुंबई में खेलने के लिए दोनों टीमें कुछ भी कर गुजरने का तैयार हैं।

चार लगातार हार के बाद इंडियन प्रीमियर लीग 11वें संस्करण के दूसरे क्वालीफायर में उतर रही सनराइजर्स हैदराबाद के विकेटकीपर रिद्धिमान साहा का मानना है कि दो-तीन अच्छे ओवर हवाओं का रूख बदल देंगी। और सनराइजर्स हैदराबाद फाइनल खेल सकेगी।

मैच से पहले संवाददाता सम्मेलन में साहा ने कहा, “हम अतीत को भूल चुके हैं। हमसे कहा गया है कि हम आखिरी मैच भूल जाएं और अगले मैच के लिए तैयार रहें। हम चार हारों के बारे में नहीं सोच रहे हैं। हम जानते हैं कि दो-तीन अच्छे ओवर टी-20 में खेल को पलट सकते हैं।”

हैदराबाद इस सीजन में प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली टीम बनी थी, लेकिन पिछले मैचों में उसे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर, कोलकाता, चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा है।

रिद्धिमान साहा ने कहा कि कोलकाता का लगातार चार मैच जीतना उनकी टीम के लिए मायने नहीं रखता क्योंकि उनकी टीम किसी भी परिस्थिति में खेलने को तैयार है। उन्होंने कहा, “हमने अच्छी शुरुआत की थी। हम इसलिए नहीं जीत सके कि हमने मैच अच्छे से खत्म नहीं किए। हम शुक्रवार को जीतने के लिए खेलेंगे।”

ईडन गार्डन्स की पिच पर कोलकाता की स्पिन तिगड़ी सुनील नरेन, कुलदीप यादव और पीयूष चावला हैदराबाद के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, लेकिन साहा ने कहा कि राशिद खान, शाकिब अल हसन जैसे गेंदबाजों के रहते हैदराबाद हर स्थिति से निपटने में सक्षम है।

उन्होंने कहा, “हम परिस्थितियों पर नहीं निर्भर कर रहे हैं। यह भी हो सकता है कि विकेट अलग व्यवहार करे। हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं। हमने उनके खिलाफ काफी मैच खेले हैं। हम उनकी गेंदबाजी के तरीकों को जानते हैं। अंतत: हमें मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करना है।” (इनपुट आईएएनएस)

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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