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नेशनल

ट्रैक्टर रैलीः आउटर रिंग रोड पहुंचे किसान, ITO पहुंचा गाजीपुर से निकला मार्च

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में लगातार 2 महीने से घरने पर बैठे किसान आज यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के आसपास के इलाकों में ट्रैक्टर परेड निकाल रहे हैं। इस दौरान कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत देखने को मिली। कुछ जगहों पर पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े।

सिंघु बॉर्डर से निकलने के बाद किसानों के जत्थे ने अचानक रूट बदल दिया जिसके बाद पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत हो गई। इसके बाद सिंघु बॉर्डर से निकले किसानों का जत्था आउटर रिंग रोड पर पहुंच गया। किसान आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं।

बता दें कि पुलिस ने किसानों को आउटर रिंग रोड पर मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन आज सुबह ही किसान अड़ गए थे और बैरिकेड्स को तोड़ते हुए किसान आउटर रिंग रोड पर पहुंच गए हैं। वहीं गाजीपुर बॉर्डर से निकलकर किसान अक्षरधाम को पार कर ITO पहुंच गया है। वहीं सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली पुलिस पूरी तरह अलर्ट नजर आ रही है। पुलिस ने आश्रम के पास की सड़क को ब्लॉक कर दिया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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